- अजूबा से कम नहीं है बाथू की लडी | सच्चाईयाँ न्यूज़

सोमवार, 20 फ़रवरी 2023

अजूबा से कम नहीं है बाथू की लडी

देव भूमि हिमांचल प्रदेश में हजारों मंदिर की धरती है जैसे माता ज्वाला देवी, माता चिंतपूर्णी, माता नयना देवी, माता बगलामुखी आदि अनेक मंदिर है जिसका वैभव चारोदिशाओ मे फैला हुआ है, आपकों एक ऐसा अनूठे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं क्या आपने ऐसे मंदिर बारे सुना है जो आठ महीने तक पानीके अन्दर रह्ता है और चार महीने भक्तों को दर्शन देता है, यह मंदिर बाधू की लडी से प्रसिद्द है इस मंदिर की इमारत में लगे बाथू का पत्थर कहा जाता है, बाथू मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के इलावा आठ मंदिर है ऐसा माना जाता है बाथू मंदिर की स्थापना छठी शताब्दी में गुलेरीया साम्राज्य से हैं कुछ लोग इसे पांडवो द्वारा अज्ञात वास के दौरान बनाया गया है कहा जाता है कि संवय पांडवो ने इसका निर्माण किया था इस मन्दिर के साथ सतंभी की अनुकृति जैसा भवन बना कर स्वर्ग तक जाने के लिए पृथ्वी से सीढियां भी बनाईं थी जिसका निर्माण उन्हे एक रात में करना था लेकिन एक रात में स्वर्ग तक सीढिया बनाना कोई आसान नहीं था भगवान श्री कृष्ण जी से मदद की गुहार लगाई श्री कृष्ण जी ने छे महीने की एक रात करदी लेकिन छे महीने की रात भी स्वर्ग सीढिय़ां कार्य अधूरा रह गया और सुबह हो गई थी, आज भी इस मन्दिर में स्वर्ग की और वाली 40 सीढियां मौजूद है जिन्हे लोग आस्था के साथ पूजते हैं यहाँ कुछ दूरी पर एक पत्थर मौजूद है जिसे भीम द्वारा फैंका गया था कहा जाता है कि कंकड़ मारने से इस पत्थर से खून निकलता है इस मंदिर के बारे मे ऐसे सारे राज दफन है? हिमांचल प्रदेश में कागडा जिलें की तहसील जवाली से 16किलो मीटर की दूरी पर है

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