गुरुवार, 9 मार्च 2023

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भारत-पाकिस्तान विभाजन में विस्थापित होने वाले की जमीन आवंटन की मांग खारिज कर दी। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने स्पष्ट किया कि विभाजन से विस्थापित होने पर याचिकाकर्ता को जमीन आवंटन का अपरिहार्य अधिकार नहीं है। अदालत ने केंद्र सरकार के उस निर्णय को सही ठहराया, जिसके तहत विस्थापित को मुआवजा देने का निर्णय लिया गया था।याचिकाकर्ता चंद्रपाल सिंह और अन्य की ओर से दायर याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने यह निर्णय सुनाया।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से गुहार लगाई थी कि विभाजन के दौरान विस्थापित होने के चलते उन्हें शिमला शहर में घर बनाने के लिए जमीन का आवंटन किया जाए। दलील दी गई कि भारत-पाकिस्तान विभाजन में उनके पूर्वज सरदार जगत सिंह पश्चिमी पाकिस्तान से विस्थापित होकर शिमला पहुंच गए। विभाजन के बाद उनके पास शिमला में रहने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। सरदार जगत सिंह की मौत के बाद वर्ष 1995 में उनके वशंज मान कौर ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी और गुहार लगाई थी कि या तो उन्हें जमीन आवंटित की जाए या उचित मुआवजा मिले।
वर्ष 2016 में अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए केंद्र सरकार को मुआवजा देने के आदेश दिए थे। बाद में याचिकाकर्ताओं ने केंद्र को नोटिस दिया और 34 हजार रुपये पर वर्ष 1948 से ब्याज देने की मांग की। केंद्र ने अदालत को बताया कि वर्ष 2016 तक मुआवजा के तौर पर 3.13 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। केंद्र ने अदालत के ध्यान में लाया कि याचिकाकर्ताओं से उनके बैंक खातों की जानकारी मांगी गई, लेकिन याची ने अभी तक कोई रिकॉर्ड नहीं भेजा।
एक टिप्पणी भेजें