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शनिवार, 13 मई 2023

सब फेल,योगी कर गए खेल;यूपी में BJP की बड़ी जीत के ये हैं 5 कारण

उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में बाबा योगी आदित्यनाथके बुलडोजर का जादू चल गया.निकाय चुनाव में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस को बड़ी मात दी है. बीजेपी ने क्लीन स्वीप कर मेयर की सभी 17 सीटों पर कब्जा जमा लिया. योगी साल 2017 में यूपी के मुख्यमंत्री बने, तब से यूपी में बीजेपी का जलवा कायम है. इस बार भी यूपी जनता ने सपा, बसपा और कांग्रेस को नकार दिया है. जानिए यूपी में बीजेपी की जीत के 5 बड़े कारण.

माफिया राज के खिलाफ जीरो टॉलरेंस

यूपी में राजनीति के साथ माफिया का गठजोड़ दशकों पुराना है. योगी ने अपने कार्यकाल में इस गठजोड़ को तोड़ने की पूरी कोशिश की. उन्होंने राज्य में माफिया राज के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई. इसका असर यह हुआ कि उमेशपाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी अतीक अहमद के पूरे परिवार पर पुलिस का शिकंजा कस गया. वहीं, माफिया मुख्तार अंसारी समेत 40 माफिया जेल में हैं. इन माफियाओं की हजार करोड़ की संपत्ति भी जब्त हो गई. योगी ने विधानसभा में सौगंध खाई थी कि यूपी के माफियाओं को मिट्टी में मिला दूंगा. इस बयान ने बीजेपी के चुनाव प्रचार में बड़ी छाप छोड़ी.

जीत के पीछे योगी की कड़ी मेहनत

सूबे में बीजेपी की शत-प्रतिशत जीत के पीछे सीएम योगी की कड़ी मेहनत है. यूपी का निकाय चुनाव 2024 का लिटमस टेस्ट है, क्योंकि साल 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं. इसलिए सीएम योगी ने खुद चुनाव प्रचार की कमान संभाली. बीजेपी के सबसे फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ चुनावी रैलियों में इस तरह बरसे कि नतीजों के दिन से पहले ही बीजेपी की जीत पक्की हो गई. योगी के अलावा दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या और ब्रजेश पाठक भी जोर शोर से प्रचार में जुटे रहे.

योगी का विकास मॉडल और कानून व्यवस्था पर लगी मुहर

यूपी के शहरी इलाकों में योगी मॉडल हिट साबित हुआ है. नगर निगम के नतीजों ने योगी के विकास मॉडल और कानून व्यवस्था पर मुहर लगा दी है. राज्य में नगर निगर की 17 सीट हैं, जिसमें से गोरखपुर, झांसी, शाहजहांपुर, फिरोजाबाद, सहारनपुर, मेरठ, लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, अयोध्या, आगरा और मथुरा-वृंदावन सीट पर जनता ने योगी के वादों पर भरोसा जताया.

सिर्फ योगी दिखे, गायब रहे अखिलेश-माया

ऐसा लग रहा था जैसे समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव से पहले ही हार मान ली. माया तो कहीं दिखी नहीं, अखिलेश ने भी चुनाव प्रचार कर खानापूर्ति की. जबकि इसके उलट सीएम योगी ने चुनाव प्रचार में पूरी जान लगा दी. वह विपक्ष पर टूट पड़े, जिसके बाद चारों ओर सिर्फ योगी-योगी का नारा गूंजा.

ओवैसी फैक्टर से बंटे मुस्लिम वोट!

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की एआईएमआईएम ने हर बार की तरह इस बार भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक पर सेंधमारी की, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को पहुंचा. मेरठ की ही बात करें तो यहां एआईएमआईएम के उम्मीदवार मोहम्मद अनस काफी देर तक बढ़त बनाकर पहले नंबर पर रहे, लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार हरिकांत अहलूवालिया ने उनको पीछे छोड़ दिया. साफ है कि अगर ओवैसी इस सीट पर दांवा नहीं ठोकते तो मुस्लिम वोट सपा या बसपा के खाते में जाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बीजेपी उम्मीदवार की जीत हुई.

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