- लोनी का मेन बाजार दुकानदारों के अतिचार का शिकार भीड़ के कारण आसान नहीं होता पैदल निकल पाना | सच्चाईयाँ न्यूज़

शनिवार, 27 मई 2023

लोनी का मेन बाजार दुकानदारों के अतिचार का शिकार भीड़ के कारण आसान नहीं होता पैदल निकल पाना

 फरीन
गाज़ियाबाद
जिला गाज़ियाबाद मे लोनी मेन बाजार में दुकानदारों के अतिक्रमण के चलते यहां का रास्ता अत्यंत संकरा हो गया है। दुकानदारों के अतिचार का शिकार बाजार का भीड़-भाड़ वाला यह मार्ग आने-जाने वाले नागरिकों के लिए पहाड़ जैसी मुसीबत बना हुआ है। शहर के अलावा देहात क्षेत्र से बड़ी संख्या में आने वाले महिला-पुरुष ग्राहकों के लिए यहां भारी भीड़ के बीच खरीदारी कर पाना कोई आसान काम नहीं होता मार्ग की अनियंत्रित भीड़ से निकलने वाले टूव्हीलर सवार ग्राहकों के लिए अतिरिक्त मुसीबत का कारण बने रहते हैं लगभग 20 फुट चौड़ाई के रास्ते वाले मेन बाजार के दुकानदारों की स्वार्थ भरी घटिया सोच का नतीजा है कि उनके द्वारा किए गए अतिक्रमण के कारण वह इतना संकरा हो गया है जो आवागमन के लिए मात्र 8 फुट बनकर रह गया है यही नहीं अतिक्रमणकारी इन दुकानदारों में एक बड़ी संख्या ऐसे दुकानदारो की हैं जिन्होंने अपनी दुकान के बाहर सड़क पर ही तख्त डालकर उसे अन्य छोटे दुकानदारो को गैरकानूनी रूप से किराए पर दे दिया है बहुत से दुकानदारों की मानसिकता के तो ऐसे हालात हैं कि उन्होंने अपनी दुकान के सामने ऊपर की ओर रस्सी व बांस-बल्ली की मदद से इतनी दूरी तक सामान टांग रखा है जैसे बिक्री का यह सामान एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहा हो। यही कारण है कि यहां से निकलने वाले वाहन हो या पैदल यात्री उनका बाजार की भीड़ में फंसकर खड़ा रहना आम बात है। दुकानदारों और उनके सामने वाले किरायेदारों (छोटे दुकानदारों) के कारण यहां बनी रहने वाली भीड़ से निकल पाना कोई आसान काम नहीं होता जिसके चलते उनका अक्सर एक दूसरे से भिड़ना और उनके बीच विवाद होना आम बात है। अफसोस की बात तो यह है कि ऐसी आपत्तिजनक परिस्थिति के दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी नग्न ही नजर आती है बाजार के करीब दो तिहाई मार्ग पर दुकानदारों ने इस कदर अतिक्रमण कर लिया है जैसे वह उनकी अपनी निजी संपत्ति हो जो दुकान के सामने ही इस कदर समान रखते हैं मानो उनके बीच एक दूसरे से आगे सामान सजाने की होड़ सी लगी हो। दुकानदारों द्वारा आने जाने वाले अतिक्रमण का अगर कोई विरोध करता तो यह उसके साथ गाली-गलौज व मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। अफसोस की बात तो यह है कि संबंधित विभाग सब कुछ जानते हुए भी न जाने क्यों इस ओर से अंजान बना बैठा है।

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