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रविवार, 7 मई 2023

Property Knowledge : बेटे की संपत्ति पर मां का ज्यादा हक या बीवी का ? कैसे होता है बंटवारा , जानें क्या है कानून

 व्यक्ति के जीवित होते अगर उसकी संपत्ति का बंटवारा हो जाए तो कोई दिक्कत नहीं होती. पर व्यक्ति की मृत्यु के बाद पारिवारिक विवाद होते कई बार देखे हैं.पिता की संपत्ति को लेकर अक्सर विवाद होता ही है. इसके बारे में हम पहले कई जानकारियां दे चुके हैं. आज हम यह जानकारी दे रहे हैं कि बेटे की संपत्ति पर किसका अधिकार होता है? मां का या फिर पत्नी का. हालांकि मां के जीवित रहते बेटे की मृत्यु हो जाना बहुत दुखदायी है. भगवान ऐसा किसी के साथ न करे. फिर भी यदि किसी के साथ ऐसा होता है तो उसे पूरी जानकारी जरूर होनी चाहिए.

आजकल के समय में कई कारणों के चलते मां को अपने ही बेटे की संपत्ति में अधिकार नहीं मिलते, इसलिए हर मां को अपने बेटे की संपत्ति में क्या-क्या अधिकार होते (Mother’s right on deceased son’s property), इसके बारे में जरूर पता होना चाहिए. बता दें कि बेटे की संपत्ति पर अधिकार को लेकर हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में व्यवस्था दी गई है. इसमें लड़के के विवाहित और अविवाहित रहते मृत्यु होने पर अलग-अलग तरीके से संपत्ति का बंटवारा होता है.

क्या कहता भारत का कानून

कई सारे ऐसे मामले सामने आते हैं जिसमें मृत बेटे की संपत्ति में उसकी मां को हक नहीं दिया जाता है जो कानून के विरुद्ध होता है पर कई मां को इस बारे में पता भी नहीं होता है और वह अपना जीवन किसी वृद्ध आश्रम में व्यतीत करने लगती हैं लेकिन भारतीय कानून की मदद से वह अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ सकती हैं जिससे उन्हें अपने मृत बेटे की संपत्ति में भी अधिकार मिलेगा.

जानिए मृत बेटे की संपत्ति में मां का अधिकार

आपको बता दें कि एक मां को अपने मृत बेटे की संपत्ति में उतना ही हिस्सा मिलता है, जितना उसकी पत्नी और बच्चों को मिलता है. इसके साथ ही अगर पति की संपत्ति को बांटा जाता है तो उसकी बीवी को भी अपने बच्चों के समान ही उस संपत्ति में अधिकार (Wife’s right on husband’s property in India) मिलता है. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) की धारा 8 के अनुसार, बच्चे की संपत्ति पर माता-पिता के अधिकार को परिभाषित करती है. इसके तहत बच्चे की प्रॉपर्टी की मां पहली वारिस होती है, जबकि पिता बच्चों की संपत्ति का दूसरा वारिस होता है. यदि किसी मृत व्यक्ति की माँ, पत्नी और बच्चे जीवित रहते हैं, तो संपत्ति को माँ, पत्नी और बच्चों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाता है.

विवाहित और अविवाहित होने की स्थिति में

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार, अगर पुरुष अविवाहित है तो उसकी संपत्ति में पहली वारिस, उसकी मां और दूसरे वारिस, उसके पिता को हस्तांतरित की जाएगी. अगर मां जीवित नहीं है तो संपत्ति पिता और उसके सह-वारिसों को हस्तांतरित कर दी जाएगी. यदि मृतक एक हिंदू विवाहित पुरुष है, और बिना वसीयत के मर जाता है, तो उसकी पत्नी को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार संपत्ति का अधिकार प्राप्त होगा. ऐसे मामले में, उसकी पत्नी को श्रेणी 1 वारिस माना जाएगा. वह संपत्ति को अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों के साथ समान रूप से साझा करेगी.

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