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रविवार, 28 मई 2023

What is Nato Plus : क्या है NATO प्लस ,अगर भारत इसमें शामिल होता है तो क्या होगा फायदा,जानें

 Know About Nato Plus: विश्व पटल पर भारत की क्या छवि है? ये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों के दौरान होने वाली मेहमान नवाजी और बेशुमार प्यार से पता लग ही जाता है।हाल ही में जी7 समिट के दौरान जापान के शहर हिरोशिमा में विश्व के टॉप लीडर्स ने आगे आकर पीएम मोदी से मुलाकात की। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तो पीएम मोदी के लिए यहां तक कह दिया था कि यूएस में आपकी बहुत लोकप्रियता है, मुझे आपका ऑटोग्राफ लेना चाहिए।

भारत को Nato+ में शामिल करने की पैरवी

वहीं अब पीएम मोदी के अगले महीने (जून) अमेरिका के दौरे पर पहले अमेरिका की शक्तिशाली कांग्रेस समिति ने जो बाइडेन सरकार से भारत को नाटो प्लस (Nato Plus) का हिस्सा बनाने की पैरवी की है। समिति का कहना है कि भारत के शामिल होने से नाटो प्लस (Nato +) को मजबूती मिलेगी। ऐसे में जानिए NATO प्लस क्या है?

दरअसल, नाटो प्लस एक सुरक्षा व्यवस्था है, जो वैश्विक रक्षा सहयोग (global defense cooperation) को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। यह पांच देशों का गठजोड़ है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, इजरायल और दक्षिण कोरिया शामिल हैं। लेकिन अब चाइना सलेक्ट कमेटी ऑफ यूएस हाउस ने इस संगठन में भारत को शामिल करने पर सिफारिश की है।

भारत के शामिल होने पर क्या होगा फायदा?

वहीं इस संगठन में भारत के शामिल होने पर फायदा होगा। क्योंकि जिस तरह से नाटो प्लस सुरक्षा व्यवस्था को वैश्विक रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए नाटो और 5 गठबंधन देशों को एक मंच पर लेकर आती है, उसमें भारत के शामिल होने से खुफिया जानकारी आसानी से शेयर करने में सहूलियत होगी और भारत लेटेस्ट मिलिट्री टेक्नोलॉजी तक अपनी पहुंच बना लेगा। इसके अलावा भारत अमेरिका के साथ रक्षा-सुरक्षा से आसानी से जुड़ सकेगा।चीन को घेरने के लिए बड़ा कदम

बता दें कि जिस अमेरिका की कांग्रेस कमिटी ने नाटो प्लस में भारत को जोड़ने की पैरवी की है, वो 'स्ट्रैटेजिक कॉम्पिटिशन बिट्वीन द यूनाइटेड स्टेट्स एंड द चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP)' की चयन समिति है।

इस कमिटी ने ताइवान के मुद्दे पर चीन को घेरने के लिए और सुरक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए भारत को जोड़ने की बात कही है। इस कमिटी का कहना है कि यदि चीन, ताइवान पर हमला करता है तो उसके खिलाफ कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे। इन प्रतिबंधों को लागू करने में जी7, नाटो, नाटो प्‍लस और क्‍वॉड देशों की भूमिका अहम होगी।

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