इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों सेआये हुये उलेमा ने मुसलमानों के मसाइल पर विस्तार से चर्चा की और मुसलमानों, हुक़मतों, और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के कामों का जायज़ा लेते हुए एक ''मुस्लिम एजेण्डा'' भी तैयार किया गया। मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने प्रेस काॅफ्रेंस में ''मुस्लिम एजेण्डा'' ज़ारी करते हुये मुसलमानों को हिदायत की है कि शिक्षा, बिज़नेस, और परिवार पर ध्यान दें और समाज में फैल रही बुराईयों पर रोकथाम करें, ट्रिपल टी के फार्मूले पर काम करें यानि तालीम व तिजारत और तरबियत।यही कामयाबी का अकेला रास्ता है। लड़कियों के लिए अलग से स्कूल व कॉलेज खोले, इस वक्त भारत की राजनीति बहुत खराब हो चुकी है इसलिए राजनीति में बहुत ज्यादा हिस्सा न लेकर दूरी बनाए। अन्यथा भविष्य में बड़े नुकसान उठाने पड़ेंगे।
मौलाना ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को कड़े शब्दों में कहा की देश की एकता और अखण्डता के लिये मुसलमान हर कुर्बानी देने के लियेतैयार है, मगर हिन्दु और मुस्लिम के दरमियान नफरत फैलाने वाली राजनीति बरदाश्त नहीं की जा सकती है, और मुसलमानों के साथ ना इंसाफी और ज़ुल्म व ज़ियादती को भी ज़्यादा दिन तक हम सहन नहीं कर सकते। सरकारों व राजनीतिक पार्टियों को इस पर गम्भीरता से काम करना होगा, और मुसलमानों के प्रति अपने आचरण में बदलाव लाना होगा।केंद्र की मोदी सरकार ने "सबका साथ सबका विकास" और "सूफी विचारधारा" का नारा दिया था मगर ये दोनों नारे खोखले साबित हो गए, न मुसलमानों को साथ लिया गया और न ही सूफी विचारधारा को बढ़ाने का काम किया।
दूसरी तरफ केन्द्र सरकार में कांग्रेस ने अपने समय कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ाया, उत्तर प्रदेश में यही काम समाजवादी पार्टी ने किया।प्रधानमंत्री के दावों की खुद ही उनके लोगों ने हवा निकाल दी कि उत्तराखंड की धामी सरकार ने दो दर्जन से ज्यादा सुफियो के मजारात को तोडा गया है। मौलाना ने सरकार और राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा में "पैग़म्बरे इस्लाम बिल" संसद में पास किया जाए , ताकि कोई भी व्यक्ति पैग़म्बरे इस्लाम की शान में गुस्ताखी न कर सके। 2024 के लोकसभा चुनाव में जो पार्टियां बिल को पास करने पर सहमति जताएंगी मुसलमान उन्हीं को वोट देगा।
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