दूर-दराज के इलाकों मोबाइल के जरिए पढ़ रहे छात्र, पैसों के साथ ही समय कि हो रही है बचत-ट्रेंड के साथ बदले रहे हैं इंस्टीट्यूट, ऑफलाइन मोड के साथ अॉनलाइन मोड में भी हुए शिफ्ट
देहरादून, 19 जनवरी:
कोरोना के बाद बड़ा ट्रेंड
पेरेंट्स अपने बच्चों की कॉम्पटीशन में सफलता दिलाने के लिए कोचिंग भेजते हैं जिसमें की ऑफलाइन कोचिंग को बेहतर माना जाता था। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान सब कुछ ठप हो गया और स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर इसका गहरा असर पड़ा। ऐसे में स्टूडेंट्स की पढ़ाई डिस्टर्ब न हो इसके लिए कई कोचिंग इंस्टीट्यूट्स, स्कूल, कॉलेजेज आदि ने ऑनलाइन पढ़ाना शुरू कर दिया। इसमें टीचर्स जूम कॉल, गूगल मीट, व्हाट्सएप आदि एप से स्टूडेंट्स को घर बैठे ही पढ़ाने लगे। कोरोना के दौरान शुरू हुए ये सिलसिला अब रफ्तार पकडऩे लगा है और स्टूडेंट्स में ऑनलाइन कोचिंग का ट्रेंड बढऩे लगा है।
दूर-दराज के इलाकों में पहुंच
एक समय था जब ऑफलाइन कोचिंग के लिए स्टूडेंट्स को शहरों की तरफ जाना पड़ता था। जहां उनका रहने से लेकर खाने में बहुत सारा पैसा खर्च होता था। लेकिन, ऑनलाइन कोचिंग की सुविधा होने से अब ये स्टूडेंट्स अपने गांव या दूर दराज के इलाकों में सरकारी नौकरी, कंपीटशन आदि की तैयारी कर रहे हैं।
पैसों की होती है बचत
ऑफलाइन कोचिंग में जहां स्टूडेंट्स को सेंटर्स तक गाड़ी या पैदल चलकर जाना होता है तो वहीं ऑनलाइन कोचिंग के शुरू होने के बाद स्टूडेंट्स घर पर रहकर ही पढ़ सकते हैं। इससे उनका कोचिंग में आने-जाने के लिए लगने वाला पैसा और समय दोनों की ही बचत होती है। वहीं ऑफलाइन के मुकाबले ऑनलाइन कोचिंग में फीस भी कम रहती है।
घर से ही चला रहे कोचिंग
किसी भी टीचर को ऑफलाइन कोचिंग खोलने के लिए अच्छा खासा पैसा इन्वेस्ट करना पड़ता है जिसमें कमरे का रेंट, लाइट का बिल, पार्किंग, पीने के पानी बैठने के लिए चेयर्स आदि की सुविधा करनी पड़ती है। लेकिन ऑनलाइन कोचिंग में इन सब की जरुरत नहीं होती। ऑनलाइन कोचिंग शुरू करने के लिए सिर्फ एक रूम, बोर्ड और मोबाइल और इंटरनेट की जरुरत होती है। यही कारण है कि बहुत से लोग अब घर से भी ऑनलाइन कोचिंग का संचालन कर रहे हैं।
ट्रेंड के साथ बदले इंस्टीट्यूट
कहा जाता है कि जो टेक्नोलॉजी के साथ नहीं चलता वो अन्य लोगों के मुकाबले पिछड़ जाता है। यही कारण है कि अब ऑफलाइन चलने वाले कोचिंग इंस्टीट्यूट भी ऑनलाइन के ट्रेंड को देखते हुए इस मोड में स्विच कर रहे हैं और एप के जरिए हजारों स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे हैं। इससे उनके वहां स्टूडेंट्स की संख्या में तो इजाफा हो ही रहा है साथ ही उनकी पहुंच दूर दराज के इलाकों में भी हो रही है।
यू-ट्यूब का लेते हैं सहारा
कोचिंग इंस्टीट्यूट्स वाले स्टूडेंट्स तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं जिसमें वो वीडियोज, रील्स, शॉट्र्स आदि बनाकर पोस्ट करते हैं। इसके अलावा भी वो यू-ट्यूब पर चैनल बनाकर लेक्चर्स अपलोड करते हैं। जिससे उनकी पहुंच ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स तक हो सके।
ऑनलाइन कोचिंग के फायदे
-घर से ही पढ़ाई कर सकते हैं
-एक वीडियो को कई बार देख सकते हैं
-एकांत में आराम से पढ़ सकते हैं
-कोचिंग के लिए आने-जाने के टाइम की बचत
-बाहर रहने खाने के पैसों की बचत
-अपने समयानुसार कर सकते हैं एडजस्ट
ऑनलाइन कोचिंग के नुकसान
-क्लास जैसा माहौल नहीं मिल पाता
-स्टूडेंट्स टीचर्स के साथ सही से इंटरेक्ट नहीं कर पाते
-स्क्रीन टाइम बढऩे से आंखों पर असर होता है
-मोबाइल से स्टूडेंट्स में भटकाव होना
-मोबाइल गर्म होने से दुर्घटना की आशंका
दून में इन इलाकों में हैं कोचिंग इंस्टीट्यूट्स
नेहरू कॉलोनी
करनपुर
राजपुर रोड
सर्वे चौक
सहस्रधारा
इन फील्ड में के लिए ली जाती है कोचिंग
-मेडिकल
-इंजीनियरिंग
-मैनेजमेंट
-गवर्नमेंट जॉब्स
-लैंग्वेज कोर्सेज
-एडिटिंग
-स्किल बेस्ड कोर्सेज
-फाइनेंशियल
-बिजनेस
कोरोना के बाद से ऑनलाइन कोचिंग का ट्रेंड बढ़ा रहा है, अच्छी खासी संख्या में स्टूडेंट्स ऑनलाइन कोचिंग्स में एनरोल कर रहे हैं। इसमें समय के साथ-साथ उनके पैसों की बचत भी हो जाती है।
गंभीर रावत, टीचर
ऑनलाइन मोड में स्टूडेंट्स अपनी सुविधा के अनुसार पढ़ सकते हैं, एक बार वीडियो पोस्ट करने पर उसे कई बार देखा जा सकता है। इससे स्टूडेंट्स को डाउट क्लियर करने में मदद मिल जाती है।
मुकुल कुमार, टीचर
ऑनलाइन कोचिंग के जरिए हम घर बैठे आराम से पढ़ाई कर सकते हैं। इससे हमारा आने-जाने का समय बच जाता है और हम जब चाहे तब पढ़ाई कर सकते हैं।
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