मंगलवार, 28 फ़रवरी 2023

दो दशकों में केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर आए विपक्षी नेताओं की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सोनिया गांधी से लेकर मनीष सिसोदिया तक, अनेक बड़े नेता जांच एजेंसी के फेर में आ चुके हैं। यूपीए के शासनकाल (2004-2014) में सीबीआई ने जिन नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया,
उनमें विपक्ष के नेताओं की संख्या लगभग 60 फीसदी थी। उस उस दौरान 72 नेताओं को सीबीआई जांच का सामना करना पड़ा। इस हिसाब से जांच के दायरे में आए 43 नेता, विपक्षी दलों के थे। एनडीए सरकार में यह संख्या बढ़कर 95 फीसदी तक पहुंच गई है। 2014 से लेकर गत वर्ष तक लगभग 125 बड़े नेता सीबीआई जांच के फेर में आए हैं। खास बात है कि इनमें से लगभग 120 नेता विपक्षी दलों के हैं। ईडी का रिकॉर्ड भी कुछ ऐसा ही है।
पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय एजेंसी ‘ईडी’ के 112 छापे पड़े थे। कांग्रेस के मुताबिक, एनडीए सरकार यानी पीएम मोदी की सरकार में ईडी की 3010 से अधिक छापेमारी हुई हैं। यूपीए में लगभग 43 विपक्षी नेताओं से की पूछताछ ... यूपीए सरकार में सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेल और कोयला ब्लॉक आवंटन जैसे कई बड़े मामलों की जांच की थी। मनमोहन सिंह सरकार के दौरान सीबीआई ने लगभग 43 विपक्षी नेताओं से पूछताछ की थी।
इनमें भाजपा के 12 नेता भी शामिल थे। मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भी उस वक्त सीबीआई जांच के दायरे में आ गए थे। वे उस समय गुजरात सरकार में मंत्री थे। जांच एजेंसी ने उन्हें सोहराबुद्दीन शेख की कथित मुठभेड़ में हुई हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था। सीबीआई जांच के दायरे में आए एनडीए के दूसरे बड़े नेताओं में जनार्दन रेड्डी,
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