रविवार, 12 मार्च 2023
मरने वाले भाइयों के बाप ने दोनों को उसी ज़मीन पर दो कब्र खोदकर दफ़न कर दिया..और पक्की क़बरें बनवा के कह दिया लो संभालो अपनी-अपनी ज़मीन..और हम सबके लिए इस वाक़्या को निशान इबरत(चेतावनई) बना दिया
ज़िंदगी दो दिन की है..यहां एक दूसरों का खून पीने से बेहतर है आपस में मोहब्बतें बांटें साथ कुछ लेकर नहीं जाना है।
तमाम उम्र हम एक दूसरे से लड़ते रहे..मरे तो दोनों बराबर में जाकर लेट गए।
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