- बिना डॉक्टर से प्रमाणित मौतों की असल वजह व कारणों की जानकारी पूरी तरह स्पष्ट नहीं होती है। केवल 22.5 फीसदी मौतें डॉक्टर द्वारा प्रमाणित होती हैं और उन्हीं के जरिये मौत के कारणों की जानकारी का एक अनुमान लगा लिया जाता है। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक अध्ययन में सामने आई है जिसमें कहा गया है कि भारत में कंप्यूटर की तुलना में चिकित्सक प्रमाणित मौखिक शव परीक्षण ज्यादा कारगर है। बिहार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हुए इस अध्ययन में डब्ल्यूएचओ के अलावा दिल्ली एम्स और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) सहित कई संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं। इसमें नागरिक पंजीकरण प्रणाली रिपोर्ट (सीआरएस) 2020 का हवाला देते हुए बताया गया कि बीते कुछ साल से भारत में मृत्यु पंजीयन तेजी से बढ़ा है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा है कि अध्ययन के परिणाम अहम होंगे। अध्ययन से पता चलता है कि मौत के कारण की जानकारी लेने के लिए मौखिक शव परीक्षा (वीए) का इस्तेमाल बेहतर है। भारत में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन क्या कंप्यूटर कोडेड सिस्टम पर विचार किया जा सकता है? इसकी जानकारी के लिए दो मॉडल चिकित्सक प्रमाणित मौखिक शव परीक्षण (पीसीवीए) व दूसरा कंप्यूटर कोडेड मौखिक शव परीक्षण (सीसीवीए) के आधार पर अध्ययन हुआ। ये मिले निष्कर्ष डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों की व्यवहार्यता को देखते हुए, विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि मौखिक शव परीक्षण के लिए पीसीवीए का उपयोग जारी रखा जाना चाहिए। कंप्यूटर उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। साथ ही एक राष्ट्रीय मौखिक शव परीक्षण कार्यक्रम लागू करना चाहिए। रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि भारत में चिकित्सा मौत के कारणों की जानकारी के लिए मौखिक शव परीक्षण का इस्तेमाल किया जा रहा है। देव कश्यप | सच्चाईयाँ न्यूज़

मंगलवार, 9 मई 2023

बिना डॉक्टर से प्रमाणित मौतों की असल वजह व कारणों की जानकारी पूरी तरह स्पष्ट नहीं होती है। केवल 22.5 फीसदी मौतें डॉक्टर द्वारा प्रमाणित होती हैं और उन्हीं के जरिये मौत के कारणों की जानकारी का एक अनुमान लगा लिया जाता है। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक अध्ययन में सामने आई है जिसमें कहा गया है कि भारत में कंप्यूटर की तुलना में चिकित्सक प्रमाणित मौखिक शव परीक्षण ज्यादा कारगर है। बिहार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हुए इस अध्ययन में डब्ल्यूएचओ के अलावा दिल्ली एम्स और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) सहित कई संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं। इसमें नागरिक पंजीकरण प्रणाली रिपोर्ट (सीआरएस) 2020 का हवाला देते हुए बताया गया कि बीते कुछ साल से भारत में मृत्यु पंजीयन तेजी से बढ़ा है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा है कि अध्ययन के परिणाम अहम होंगे। अध्ययन से पता चलता है कि मौत के कारण की जानकारी लेने के लिए मौखिक शव परीक्षा (वीए) का इस्तेमाल बेहतर है। भारत में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन क्या कंप्यूटर कोडेड सिस्टम पर विचार किया जा सकता है? इसकी जानकारी के लिए दो मॉडल चिकित्सक प्रमाणित मौखिक शव परीक्षण (पीसीवीए) व दूसरा कंप्यूटर कोडेड मौखिक शव परीक्षण (सीसीवीए) के आधार पर अध्ययन हुआ। ये मिले निष्कर्ष डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों की व्यवहार्यता को देखते हुए, विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि मौखिक शव परीक्षण के लिए पीसीवीए का उपयोग जारी रखा जाना चाहिए। कंप्यूटर उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। साथ ही एक राष्ट्रीय मौखिक शव परीक्षण कार्यक्रम लागू करना चाहिए। रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि भारत में चिकित्सा मौत के कारणों की जानकारी के लिए मौखिक शव परीक्षण का इस्तेमाल किया जा रहा है। देव कश्यप

 देश में 72 फीसदी मौतें डॉक्टर के जरिये प्रमाणित नहीं होती हैं। घरों में होने वाली इन मौतों पर परिजन खुद ही फैसला ले लेते हैं, जबकि 23 फीसदी मौतों पर नीति बनाई जा रही है।बिना डॉक्टर से प्रमाणित मौतों की असल वजह व कारणों की जानकारी पूरी तरह स्पष्ट नहीं होती है। केवल 22.5 फीसदी मौतें डॉक्टर द्वारा प्रमाणित होती हैं और उन्हीं के जरिये मौत के कारणों की जानकारी का एक अनुमान लगा लिया जाता है

यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक अध्ययन में सामने आई है जिसमें कहा गया है कि भारत में कंप्यूटर की तुलना में चिकित्सक प्रमाणित मौखिक शव परीक्षण ज्यादा कारगर है। बिहार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हुए इस अध्ययन में डब्ल्यूएचओ के अलावा दिल्ली एम्स और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) सहित कई संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं। इसमें नागरिक पंजीकरण प्रणाली रिपोर्ट (सीआरएस) 2020 का हवाला देते हुए बताया गया कि बीते कुछ साल से भारत में मृत्यु पंजीयन तेजी से बढ़ा है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा है कि अध्ययन के परिणाम अहम होंगे।

अध्ययन से पता चलता है कि मौत के कारण की जानकारी लेने के लिए मौखिक शव परीक्षा (वीए) का इस्तेमाल बेहतर है। भारत में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन क्या कंप्यूटर कोडेड सिस्टम पर विचार किया जा सकता है?

इसकी जानकारी के लिए दो मॉडल चिकित्सक प्रमाणित मौखिक शव परीक्षण (पीसीवीए) व दूसरा कंप्यूटर कोडेड मौखिक शव परीक्षण (सीसीवीए) के आधार पर अध्ययन हुआ।

ये मिले निष्कर्ष

डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों की व्यवहार्यता को देखते हुए, विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि मौखिक शव परीक्षण के लिए पीसीवीए का उपयोग जारी रखा जाना चाहिए।

कंप्यूटर उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। साथ ही एक राष्ट्रीय मौखिक शव परीक्षण कार्यक्रम लागू करना चाहिए।

रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि भारत में चिकित्सा मौत के कारणों की जानकारी के लिए मौखिक शव परीक्षण का इस्तेमाल किया जा रहा है।


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