- पूजनीय दलाई लामा एवं माननीय इंद्रेश जी के सानिध्य में 25 व रजत जयंती समारोह कार्यक्रम | सच्चाईयाँ न्यूज़

शुक्रवार, 5 मई 2023

पूजनीय दलाई लामा एवं माननीय इंद्रेश जी के सानिध्य में 25 व रजत जयंती समारोह कार्यक्रम


आज 5 मई 2023 हिमाचल प्रदेश के मैकलोडगंज स्थित दलाई लामा मंदिर में भारत तिब्बत सहयोग मंच ने अपनी 25 वा स्थापना दिवस एवं रजत जयंती समारोह का आयोजन किया। इस मंच की स्थापना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ पूजनीय वरिष्ठ प्रचारक श्री राजेंद्र सिंह जी उर्फ रज्जू भैया एवं पंचम पूजनीय प्रचारक सुदर्शन जी तथा दलाई लामा जी के सानिध्य में की गई थी। जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक माननीय इंद्रेश जी कर रहे हैं,
आज के स्थापना दिवस के कार्यक्रम में वर्तमान समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय इंद्रेश जी राष्ट्रीय महामंत्री माननीय पंकज गोयल जी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गजेंद्र चौहान जी एवं राष्ट्रीय मंत्री प्रमोद गोयल जी एवं परम पूज्य दलाई लामा जी एवं मध्य प्रदेश से प्रांत अध्यक्ष मोनिका जैन जी एवं हिमाचल प्रदेश के वर्तमान सांसद किशन कपूर जी एवं अन्य प्रदेश पदाधिकारी उपस्थित हुए, इसके साथ ही समस्त तिब्बती हिमाचल प्रदेश निवासी भी एक बड़ी संख्या में कार्यक्रम में उपस्थित हुए, कार्यक्रम में बुद्धिस्ट मोंक भी उपस्थित हुए,
कार्यक्रम के दूसरे चरण में मंच का संचालन कर रही प्रीति सागर जी ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत अभिनंदन किया साथ ही वंदे मातरम गीत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई,
कार्यक्रम में भारत तिब्बत सहयोग मंच के समस्त कार्यकारिणी सदस्यों ने मिलकर दलाई लामा जी का एक विशाल फूलों की माला पहनाकर स्वागत एवं सम्मान किया।
कार्यक्रम के अगले दौर में माननीय इंद्रेश कुमार जी ने अपने व्याख्यान में बताया कि हमें हिंसा नहीं अहिंसा परमो मैत्री की स्थापना करना आवश्यक है तथा इस युद्ध के दौर में, मैं बौद्ध की शुरुआत करना चाहता हूं जिससे हम हिंसा नहीं अहिंसा परमो धर्म की स्थापना कर सकें क्योंकि आज के समय हमारे समाज को हमारे देश को रावण और कंस की आवश्यकता नहीं है राम और कृष्ण की आवश्यकता है युद्ध की कामना के बजाय में बौद्ध की कामना करना चाहता हूं जिससे विश्व भर में शांति का स्थापना हो सके साथ ही हम सब विश्व की समस्त शक्तियों से यहां आग्रह करते हैं कि वहां एक साथ होकर तिब्बती लोगों को उनके मौलिक अधिकार,ऑटोनॉमस एवं आजादी दिलाने में सहायता करें साथ ही मैं उस संस्था की भी सहयोग करूंगा जो दलाई लामा जी के साथ मिलकर वर्षों से उनके मौलिक अधिकार दिलाने में उनकी सहायता कर रही है आज इस समृद्ध सभा मै यहां प्रस्ताव प्रसारित करना चाहता हूं कि चीन अपना षड्यंत्र बंद कर तिब्बती जनता को उनके मौलिक अधिकार वापस करें जिससे तिब्बती जनता निष्कासित नहीं बल्कि निवासी बन कर तिब्बत का निर्माण करें। इसके साथ ही माननीय इंद्रेश जी ने आज समस्त तिब्बती एवं भारतीय जनता को नारा दिया जय भारत जय तिब्बत,
व्याख्यान की दूसरी सत्र में परम पूज्य दलाई लामा जी ने बताया की, जब वहां तिब्बत से भारत आए थे तब जवाहरलाल नेहरू जी ने उन्हें यहां रहने के लिए स्वीकृति दी थी, पर में भारत का शुक्रगुजार हूं कि भारत ने मुझे पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की एवं अपने बौद्ध धर्म को मानने एवं उसके विचारों का विस्तार करने का पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की आज मैं समस्त तिब्बती लोगों एवं भारतीय लोगों से आग्रह करूंगा कि आप बौद्ध धर्म में लिखी गई 300 सूत्र और शास्त्र कि किताबों का अध्ययन करें एवं ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करने से आपकी अध्यात्मिकता शक्ति प्रबल होगी, इसके साथ ही मैंने भारत में कई जगह भ्रमण किया और भारत के कई विद्वानों से मिला और मुझे यह जानकर अच्छा लगा कि वहां बौद्ध विज्ञान को बराबर महत्व देते हैं इसके साथ ही में भारत तिब्बत सहयोग मंच का भी आभारी हूं शुक्रगुजार हूं कि वहां इतने वर्षों से तिब्बत के सहायता के लिए तिब्बती लोगों की सहायता के लिए रात दिन हमारे साथ है इसके साथ ही में माननीय इंद्रेश जी माननीय मोहन भागवत जी का भी शुक्रगुजार हूं
इसके तत्पश्चात भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं हरियाणा यूनिवर्सिटी के कुलपति गजेंद्र चौहान जी ने भी तिब्बत मंच का अभिनंदन करते हुए आभार प्रकट किया एवं कार्य की सराहना करते हुए कहा कि आज तिब्बत मंच पूरे देश भर में तिब्बतियों की सहायता करता है एवं उनकी संस्कृति को संजोए रखने का कार्य कर रहा है,

कार्यक्रम के तीसरे सत्र में सभी प्रांत के पदाधिकारियों ने मंचासीन अतिथियों का सम्मान किया एवं उन्हें मोमेंटम भेंट किया।
इसकी तत्पश्चात मध्य भारत प्रांत की अध्यक्ष मोनिका जैन एडवोकेट ने हिमाचल प्रदेश के सांसद किशन कपूर जी का मोमेंटम भेंट कर सम्मान किया एवं माननीय इंद्रेश कुमार जी, और परम पूज्य दलाई लामा जी के वरिष्ठ शिष्य का सम्मान किया। कार्यक्रम का समापन भारत एवं तिब्बत का नेशनल एंथम के साथ किया गया। 



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