- नगर पंचायत बढ़ापुर के चुनाव में कुल सात उम्मीदवारों में से मुख्य रूप से पांच उम्मीदवार मैदान में | सच्चाईयाँ न्यूज़

सोमवार, 1 मई 2023

नगर पंचायत बढ़ापुर के चुनाव में कुल सात उम्मीदवारों में से मुख्य रूप से पांच उम्मीदवार मैदान में

बढ़ापुर01मई नगर पंचायत बढ़ापुर के चुनाव में कुल सात उम्मीदवारों में से मुख्य रूप से पांच उम्मीदवार मैदान में है जिनमे से अगर राजनेतिक पार्टियों की बात करे तो सपा से डॉक्टर दिलशाद भाजपा से संजीव कुमार बंटी भाकपा से पूर्व चेयरमैन शराफत हुसैन है और निवर्तमान चेयरमैन आबिद अंसारी व जावेद अख्तर एडवोकेट निर्दलीय के रूप में है चुनाव प्रचार अब अंतिम पड़ाव पर है सब उम्मीदवार अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे है लेकिन इस चुनाव में सही फैसला चार मई को बढ़ापुर की जनता को करना है निवर्तमान चेयरमैन आबिद अंसारी व उनके परिवार के लोग चार बार चेयरमैन रहे तो जनता उनसे उनके कार्यकाल का हिसाब मांग रही है जो जनता का अधिकार भी है इसके अलावा बढ़ापुर की 25 संपत्तियों को गलत तरीके से बाहरी लोगो को कोडियो के दाम पर लीज पर दे दिया गया जिसमे कोई भी आदमी बढ़ापुर का नही है जबकि इन संपत्तियों पर यहां की जनता का अधिकार था नगर पंचायत दफ्तर में ज्यादातर ऐसे लोग भर्ती है जिनका कोई काम नहीं है और सरकारी रुपया बर्बाद हो रहा है सत्तर प्रतिशत की मुस्लिम आबादी के कस्बे में पंचायत कार्यालय में मुस्लिमो का अनुपात बहुत कम हो चुका है सत्तियान में लोगो को बेदखली के नोटिस दिए गए मस्जिद की जमीन भी नही छोड़ी गई भजड़ावाला के लोगो के घरों को ताड़ने की तैयारी की गई इन सब का हिसाब आबिद अंसारी से लेने का जनता को हक है इसके लिए उनके समर्थकों या उन्हें बुरा नही मानना चाहिए ये लोकतांत्रिक अधिकार है शराफत हुसैन के कार्यकाल में जनता पर थोपा गया हाउस टैक्स आज भी जनता भूल नहीं पा रही है जावेद अख्तर शिक्षित है समझदार है लेकिन उनका समय बाहर व्यतीत हो रहा है ऐसे में जनता ये महसूस करती है कि हर समय हमारे साथ रहने वाला अगर कोई है तो डॉक्टर दिलशाद है जो शिक्षित होने के साथ साथ सेवा भाव भी रखते है और यही उनके व्यक्तित्व को बेहतर बनाकर जनता में उनके प्रति लगाव को बढ़ा रहा है रही भाजपा के उम्मीदवार संजीव कुमार की बात तो वो एक अच्छे इंसान हो सकते है लेकिन जिस पार्टी से है उस पार्टी से मुस्लिम समुदाय शायद ही जुड़ पाए और सच्चाई यही है कि अब तक की स्थिति में सपा का ही भाजपा से सीधा मुकाबला है और जनता कस्बे में बदलाव लाने का मन बना चुकी है और डॉक्टर दिलशाद को विकल्प के रूप में देख रही है अब चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आना वाला वक्त ही बतायेगा लेकिन कस्बे की आवाम को अपने वोटो का सही इस्तेमाल करना है वरना एक गलत फैसला फिर पांच साल तक रुलाता रहेगा।

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