- निकाय चुनाव में पार्टी की करारी हार , बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुलाई समीक्षा बैठक | दैनिक सच्चाईयाँ

मंगलवार, 16 मई 2023

निकाय चुनाव में पार्टी की करारी हार , बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुलाई समीक्षा बैठक

यूपी नगर निकाय चुनाव में पार्टी की करारी हार की समीक्षा करने के लिए बसपा प्रमुख मायावती ने 18 मई को पार्टी के जोनल कोआर्डिनेटर से लेकर जिलाध्यक्षों तक की बैठक बुलाई है।दरअसल, पिछले चुनाव में मुस्लिम मतों के दम पर मेरठ और अलीगढ़ के मेय....

लखनऊ: यूपी नगर निकाय चुनाव में पार्टी की करारी हारकी समीक्षा करने के लिए बसपा प्रमुख मायावती ने 18 मई को पार्टी के जोनल कोआर्डिनेटर से लेकर जिलाध्यक्षों तक की बैठक बुलाई है। दरअसल, पिछले चुनाव में मुस्लिम मतों के दम पर मेरठ और अलीगढ़ के मेयर के अलावा 29 नगर पालिका परिषद और 45 नगर पंचायत अध्यक्ष के साथ 627 पार्षद-सदस्य जीतने वाली बसपा का प्रदर्शन अबकी खराब रहा है। अकेले चुनाव मैदान में उतरी बसपा ने अबकी मुस्लिमों पर बड़ा दांव लगाया था। इसके बावजूद पार्टी को पिछली बार से 5.49 प्रतिशत कम वोट मिला है।

वोट प्रतिशत में हुई भारी गिरावट

पिछली बार पार्टी को जहां 14.30 प्रतिशत वोट मिले थे वहीं अबकी 8.81 प्रतिशत ही रह गए हैं। अबकी मेयर तो कोई जीता नहीं नगर पालिका परिषद अध्यक्ष भी घटकर 16 और नगर पंचायत अध्यक्ष 37 ही रह गए हैं। पार्षद व सदस्य मिलाकर पार्टी के कुल 544 प्रत्याशी ही जीते हैं।

खराब प्रदर्शन को देखते हुए मायावती ने 18 मई को बुलाई बैठक
लोकसभा चुनाव का सेमी फाइनल माने जाने वाले निकाय चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन को देखते हुए मायावती ने 18 मई को पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। बैठक में जोनल कोआर्डिनेटरों के साथ ही मुख्य मंडल प्रभारी, जिला वामसेफ संयोजक और सभी जिलाध्यक्ष बुलाए गए हैं।

बैठक में होगी हार की समीक्षा

पार्टी सूत्रों का कहना है कि बैठक में हार की समीक्षा करने के साथ ही बसपा प्रमुख लोकसभा चुनाव की तैयारियों के संबंध में पदाधिकारियों को निर्देश देंगी। विदित हो कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में शून्य पर सिमटने वाली बसपा पिछले विधानसभा चुनाव में भी सिर्फ एक ही सीट जीतने में कामयाब रही थी। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन के चलते पार्टी को 10 सीटों पर सफलता मिली थी। चूंकि अब गठबंधन टूट चुका है इसलिए निकाय चुनाव के नतीजों को देखते हुए अगले लोकसभा चुनाव में अकेले ही बसपा के उतरने पर पार्टी के लिए वर्ष 2014 जैसी स्थिति के फिर रहने की फिलहाल आशंका जताई जाने लगी है।

एक टिप्पणी भेजें

Whatsapp Button works on Mobile Device only

Start typing and press Enter to search