- हाईकोर्ट : अभियोजन को कानून का प्रयोग अखाड़े के रूप में करने की नहीं दी जा सकती छूट | सच्चाईयाँ न्यूज़

शनिवार, 6 मई 2023

हाईकोर्ट : अभियोजन को कानून का प्रयोग अखाड़े के रूप में करने की नहीं दी जा सकती छूट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि समाज में प्रभावशाली लोग अपने प्रतिद्वंद्वियों को झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश करते हैं। ताकि, उन्हें कुछ समय के लिए जेल भेजकर उनकी बदनामी करा सके।लेकिन, अभियोजन को इसकी स्वीकृति नहीं दी जा सकती है कि कानून को अखाड़े के रूप में इस्तेमाल कर अपना स्कोर बढ़ा सकें।

कोर्ट ने मौजूदा मामले में माना कि पत्नी की मौत गंभीर बीमारियों की चपेट में आकर सेप्टिसिमिया से हुई। जिससे कि उसके शरीर के कई अंग काम करना बंद कर दिए। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि दहेज के लिए उसके पति ने उत्पीड़न किया, जिससे कि महिला की मौत हो गई। कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ मेरठ के याची उदित आर्या की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली। उसे निजी मुचलके और दो प्रतिभूतियों के साथ रिहा करने का आदेश दिया।

अग्रिम जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति कृष्णा पहल सुनवाई कर रहे थे। याची के खिलाफ उसकी पत्नी की मौत के बाद उत्पीड़न करने का आरोप लगाकर मेरठ के गंगानगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। कहा गया कि पति ने दहेज में 60 लाख रुपये और एक कार की मांग की। जब दहेज नहीं मिला तो उसका उत्पीड़न किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई।

याची के अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल की पत्नी की तबीयत खराब थी। वह मायके चली गई और वहां रहने के दौरान उसने गर्भपात कराया था। इस वजह से उसकी हालत गंभीर हो गई। इसी दौरान उसे डेंगू भी हो गया। पति ने उसे खून भी दिया था। हॉस्पिटल के रिकॉर्ड पर सारी चीजें दर्ज हैं। कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए पाया कि यह प्राथमिकी कानून का दुरुपयोग है। पत्नी की मौत सेप्टिसिमिया की वजह से हुई थी। लिहाजा, कोर्ट ने पति/याची की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली।


एक टिप्पणी भेजें

Whatsapp Button works on Mobile Device only

Start typing and press Enter to search

Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...