गुरुवार, 11 मई 2023

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उद्धव बनाम शिंदे की शिवसेना का मामले को 7 जजों की बेंच को सौंप दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा उद्धव ठाकरे के फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। उन्होंने इस्तीफा दिया था। ऐसे में कोर्ट इस्तीफे को रद्द तो नहीं कर सकता है। हम पुरानी सरकार को बहाल नहीं कर सकते हैं।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल से विधायकों की बातचीत में कहीं भी इस बात का संकेत नहीं था, जिसमें असंतुष्ट विधायकों ने कहा हो कि वह सरकार से समर्थन बाहर लेना चाहते हैं। राज्यपाल ने शिवसेना के एक गुट के विधायकों की बात पर भरोसा करके गलती कि उद्धव ठाकरे के पास विधायकों का बहुमत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बातें
2016 का फैसला सही नहीं था। इसमें कहा गया था कि डिप्टी स्पीकर या स्पीकर के खिलाफ अयोग्यता का मामला है तो उसे कोई फैसला लेने का अधिकार नहीं होगा।स्पीकर ने कोशिश नहीं की कि शिवसेना की ओर से शिंदे गुट के गोडावले आधिकारिक व्हिप हैं या फिर उद्धव गुट के प्रभु। स्पीकर को यह जरूर पता होना चाहिए कि राजनीतिक पार्टी ने किसे व्हिप चुना है।स्पीकर ने शिंदे गुट वाले गोडावले को व्हिप नियुक्त किया, यह फैसला गैरकानूनी था। नवंबर 2019 में विधायकों ने एकमत होकर उद्धव ठाकरे को पार्टी का लीडर चुना था।महाराष्ट्र में शिंदे और उनके गुट के 15 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले पर बड़ी बेंच को विचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर विधायक सरकार से बाहर होना चाहते हैं तो वो केवल एक गुट बना सकते हैं। पार्टी के भीतरी झगड़े सुलझाने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों की बगावत के बाद महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार पिछले साल जून में गिर गई थी। इसके बाद 30 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके खिलाफ उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट गए। मामला पांच जजों की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच को ट्रांसफर हुआ। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच इस पर फैसला सुना रही है।
उद्धव गुट की मांग पर कोर्ट ने कहा- उद्धव इस्तीफा दे चुके अब बहाली कैसे करें?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के आखिरी दिन यानी 16 मार्च को इस बात पर आश्चर्य जताया था कि कोर्ट उद्धव सरकार की बहाली कैसे कर सकता है क्योंकि उद्धव ने फ्लोर टेस्ट के पहले ही इस्तीफा दे दिया था। उद्धव ने अपनी याचिका में मांग की थी कि राज्यपाल का जून 2022 का आदेश रद्द किया जाए जिसमें उद्धव से सदन में बहुमत साबित करने को कहा गया था। इस पर उद्धव गुट ने कहा कि यथा स्थिति (स्टेटस को) बहाल की जाए, यानी उद्धव सरकार बहाल की जाए जैसा कोर्ट ने 2016 में अरुणाचल प्रदेश में नबाम तुकी सरकार की बहाली के ऑर्डर में किया था।
एक टिप्पणी भेजें