- UP:-योगी राज में मिट्टी में मिल गया है बड़े से बड़े माफियाओं का वजूद | सच्चाईयाँ न्यूज़

मंगलवार, 16 मई 2023

UP:-योगी राज में मिट्टी में मिल गया है बड़े से बड़े माफियाओं का वजूद

 भी उत्तर प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य बन गया था, जहां पर राजनेताओं व सरकारी सिस्टम के बेहद ताकतवर गठबंधन के द्वारा खुल्लम खुल्ला गुंडे, मवालियों, अपराधियों, माफियाओं व बाहुबलियों को बेखौफ होकर संरक्षण प्रदान किया जाता था।जिसके चलते कभी उत्तर प्रदेश को अपराधियों, माफियाओं और बाहुबलियों की देश में सबसे सुरक्षित पनाहगाह के रूप में पहचाना जाता था। लेकिन अब योगी राज में विचारणीय यह है कि उसी उत्तर प्रदेश में आखिरकार ऐसा क्या जादू हो गया कि उसी सरकारी सिस्टम के भय के मारे देश के बड़े से बड़े अपराधियों, माफियाओं और बाहुबलियों की सिट्टी-पिट्टी गुम होकर हवा खराब है। कभी बेखौफ होकर दूसरों की जान लेने वाले हत्यारों को आज यूपी में योगी सरकार आने के बाद से अपनी जान बचाने के लाले पड़ रहे हैं, अब यह गुंडे मवाली माफिया व बाहुबली भय के मारे देश के सर्वोच्च न्यायालय तक से अपनी जान बचाने की भीख मांगते फिर रहे हैं, जोकि नियम कायदे व कानून पसंद लोगों के लिए एक बहुत ही अच्छा संकेत है।

वैसे तो उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में योगीराज की शुरुआत से ही यह स्पष्ट संकेत मिलने लगे थे कि अब यूपी में गुंडे, माफियाओं व बाहुबलियों की दाल आसानी से नहीं गलने वाली है, जिसके चलते ही उत्तर प्रदेश में अपराधियों को जेल पहुंचाने का अभियान बड़े पैमाने पर निरंतर चलाया जा रहा है। लेकिन अभी कुछ माह पहले फरवरी 2023 में जब उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में उमेश पाल व उसके दो सरकारी गनरों की हत्या सरेआम गोलियों से छलनी करके कर दी गयी थी, तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा में अपराधियों व बाहुबलियों के खिलाफ अपने सार्वजनिक रूप से बेहद तीखे तेवर दिखाते हुए इन सभी को मिट्टी में मिलाने का उद्घोष किया, जो इन कुख्यात माफियाओं से त्रस्त रहने वाले आम जनमानस को बेहद ही अच्छा लगा था, हालांकि इस उद्घोष के बाद ही जिस तरह से देश व दुनिया ने बाहुबलियों को न्यायालय में जान की भीख मांगते देखा था, लेकिन योगीराज में हरकत करने वाले दुर्दांत अपराधियों पर पुलिस प्रशासन के तेजी से कसते शिकंजे ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस उद्घोष पर मुहर लगाने का कार्य किया है। योगी राज में उत्तर प्रदेश में जिस तरह से माफियाओं बाहुबलियों और उनके सहयोगियों के विरुद्ध अभियान चलाकर उनका समूल नष्ट करके सफाया किया जा रहा है, उससे सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मिट्टी में मिला देंगे वाली बात एकदम सत्य साबित होती नज़र आ रही है और वह निरंतर मीडिया की सुर्खियों में हैं।

हालांकि अब पिछले कुछ माह से देश की मीडिया की सुर्खियों में मुख़्तार अंसारी व अतीक अहमद के मामले छाये हुए हैं। जिसमें से पिछले चार दशकों से बेखौफ होकर के अपराध कर रहे अतीक अहमद की सल्तनत को अब जाकर योगी राज में मिट्टी में मिलाने का कार्य हुआ है, लेकिन अफसोस अतीक अहमद की हत्या हो जाने से उसको संरक्षण देने वाले लोगों की अभी भी पोल खुलनी बाकी रह गयी है। वैसे जब चार दशक में पहली बार बाहुबली अतीक अहमद को सजा सुनाई गई थी तो उस समय आम जनमानस के द्वारा यह उम्मीद की जा रही थी कि अब अतीक अहमद ताउम्र जेल की सलाखों के पीछे ही बंद रहेगा और इस निर्णय के बाद से उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश व दुनिया में योगी राज में अपराधियों के पूर्ण सफाये के लिए चलाए जा रहे इस अभियान को जमकर के बल मिलेगा। आज उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीतियों का सुखद परिणाम यह है कि एक बार फिर से आम जनमानस को उत्तर प्रदेश में नियम कायदे और कानून का राज पूरी तरह से वापस आने की उम्मीद जगने लगी है। साथ ही उत्तर प्रदेश के साथ आज देश का आम जनमानस भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपराधियों के सफाये के लिए चलाई जा रही सख्त कार्यवाही वाली नीतियों की जमकर तारीफ कर रहा है।

वैसे मैंने जब से होश संभाला है तब से ही एक बात सुनते व देखते आ रहा हूं कि अगर पुलिस-प्रशासन चाहे तो माफियाओं व बाहुबलियों की उसके सामने कोई औकात नहीं है, वह पल भर में ही ऐसे लोगों के साम्राज्य को पूरी तरह से ध्वस्त करके, उनको बेघर करके जेल की सलाखों के पीछे भेजकर के पूरी तरह से नेस्तनाबूद करने की ताकत रखता है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि सरकारी सिस्टम को चलाने वाले चंद ताकतवर लोगों के साथ इन ग़लत कार्य करने वाले लोगों का बेहद मजबूत गठबंधन होने के चलते, जेल की सलाखों के पीछे बंद रहने के लायक यह अपराधी लोग खुलेआम देश में सम्मानित नागरिकों के रूप में रहकर बेखौफ होकर के रंगदारी, अपहरण, हत्या जैसे गंभीर अपराध करने में व्यस्त रहते हैं। हालांकि अपराधियों के साथ सिस्टम में बैठे लोगों का इस तरह का नापाक गठबंधन हमारे सभ्य समाज के लिए बेहद घातक व चिंताजनक स्थिति है, इस तरह के जहरीले नापक गठबंधन का टूटना देश के आम जनमानस के जान-माल व सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद जरूरी है। आज देश में अच्छी बात यह हो रही है कि कम से कम उत्तर प्रदेश में तो इस तरह के अपराधियों के नापाक गठबंधन को तोड़कर के उनको जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने व सख्त सजा दिलवाने की एक बहुत ही अच्छी शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवश्य कर रखी है, जिसके परिणाम स्वरूप ही लगभग 43 वर्षों के बाद बाहुबली अतीक अहमद को पहली बार सजा होने का कार्य हुआ था। वहीं मुख्तार अंसारी, उसका भाई व उसके अन्य सहयोगी जेल में बंद हैं, उनमें से कुछ को सजा हुई है और कुछ के मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं, मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता भी चली गयी है। वहीं हम सभी ने देखा था कि कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की लाशें बिछाने वाले दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के गैंग का योगी राज में किस तरह से सफाया किया गया था, अब फिर से वही स्थिति प्रयागराज के एडवोकेट उमेश पाल हत्याकांड में शामिल हत्यारों के साथ हो रही है। अपराधियों के द्वारा गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस पर चलायी जा रही हर गोली का उत्तर प्रदेश पुलिस अब जवाब दे रही है और अपराधियों को एनकाउंटर में मौत के आगोश में पहुंचाकर के जनता को बेखौफ करने का कार्य कर रही है। योगी आदित्यनाथ के राज में अपराधी व उनके सहयोगियों को चुन-चुन कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है और जो पुलिस पर गोली चलाने का दुस्साहस कर रहा है उसको गोली का जवाब दिया जाता है।

सपा-बसपा के लिए यूपी में ओवैसी और केजरीवाल नई चुनौती के रूप में उभरे हैं

हालांकि ऐसा नहीं है कि उत्तर प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है, इससे पहले वर्ष 1991-1992 में मुख्यमंत्री के रूप में कल्याण सिंह के प्रथम कार्यकाल में हमने देश के बड़े से बड़े माफियाओं व बाहुबलियों को उत्तर प्रदेश की सीमा में घुसने से परहेज़ करते हुए देखा है। उस समय कल्याण सिंह के खौफ के मारे या तो अपराधी उत्तर प्रदेश छोड़कर भाग गए थे या फिर वह जमानत तुड़वाकर जेलों में बंद हो गये थे। उस वक्त भी सिस्टम में बैठे कुछ बेहद ताकतवर लोगों के द्वारा अपराधियों को पाल-पोस कर उनको संरक्षण प्रदान करा जा रहा था। लेकिन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने ऐसे ताकतवर लोगों की हेकड़ी निकालते हुए, उनके गठबंधन को तोड़कर के, उसी उत्तर प्रदेश पुलिस से अपराधियों का चुन-चुन कर के सफाया करवाने का कार्य बखूबी करवाया था।

आज उत्तर प्रदेश में कई दशकों के बाद एक बार फिर से उसी तरह की स्थिति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में नज़र आने लगी है, योगी राज में अभी तक 186 अपराधियों को मिट्टी में मिला दिया गया है, उत्तर प्रदेश का पुलिस-प्रशासन अब ढूंढ़-ढूंढ़ कर अपराधियों की सल्तनत को ध्वस्त करके धूल में मिलाने कार्य कर रहा हैं। सिस्टम में बैठे हुए कुछ लोगों से गठबंधन के चलते कभी नियम कायदे व कानून को अपने घर की रखैल मानने वाले गुंडे, माफियाओं व बाहुबलियों की आज योगी आदित्यनाथ के राज में डर के मारे हवा खराब है, जिन बाहुबलियों व माफियाओं के सामने आने की पीड़ित पक्ष भी कभी हिम्मत नहीं कर पाता था, आज उन गुंडे, बाहुबलियों व माफियाओं के खिलाफ लोग ठसके से निर्भय होकर के गवाही देकर के उनको सजा दिलवा कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने का कार्य बेखौफ होकर कर रहे हैं, जो कि अपनी खस्ताहाल कानून व्यवस्था के लिए कभी देश व दुनिया में मशहूर हो चुके उत्तर प्रदेश के लिए एक बहुत ही अच्छा और सकारात्मक संकेत है।

उत्तर प्रदेश में योगी राज के पिछले 6 वर्षों के कार्यकाल से जुड़े हुए अपराधियों, माफियाओं व बाहुबलियों के खिलाफ हुई कार्रवाई के कुछ आंकड़ों की बात करें तो पिछले 6 वर्ष में योगीराज में उसी सरकारी सिस्टम में पुलिस और अपराधियों के बीच लगभग 10,900 से अधिक मुठभेड़ हुई हैं। जिसमें 5 हजार 46 अपराधी घायल हुए हैं, 184 अपराधी इन मुठभेड़ों में पुलिस की गोली के शिकार बनकर मारे गए हैं। इन मुठभेड़ों में बिना ईनाम के अपराधियों से लेकर के 5 हजार से लेकर के 5 लाख तक ईनामी दुर्दांत अपराधी मुठभेड़ में मारे गये हैं। मुठभेड़ों में अब तक 13 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं और इसमें 1443 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, वहीं लगभग 23 हजार 300 से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया है।

मुठभेड़ में मारे गये अपराधियों की इस लिस्ट में 5 लाख का इनामी दुर्दांत अपराधी विकास दुबे का नाम भी शामिल है जो 10 जुलाई 2020 को मुठभेड़ में मारा गया था। वहीं 5 लाख के ईनामी गौरी यादव 30 अक्टूबर 2021 को चित्रकूट में पुलिस से मुठभेड़ में मारा गया था। वहीं जुलाई 2019 में ढाई लाख का इनामी कमल अमरोहा में मुठभेड़ में मारा गया था। 18 फरवरी 2020 को मेरठ में डेढ़ लाख के इनामी शिव शक्ति नायडू पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। वहीं वाराणसी में पुलिस ने 2 लाख के इनामी मनीष सिंह सोनू को 21 मार्च 2022 को मार्च महीने में मुठभेड़ में मार गिराया था। वहीं 25 हजार से लेकर के ढाई लाख तक के ईनामी उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी अरबाज, उस्मान, असद व गुलाम को पुलिस मुठभेड़ में मार चुकी है। वहीं अब 4 मई 2023 को उत्तर प्रदेश पुलिस की टॉप टेन की हिट लिस्ट में शामिल 75 हजार के ईनामी खौफ का पर्याय कुख्यात अनिल दुजाना को मेरठ में एसटीएफ ने मुठभेड़ में मारा गिराया है। वहीं 14 मई को जालौन में पुलिस से हुई एक मुठभेड़ में कल्लू उर्फ़ उमेश और रमेश मारे गए। यह दोनों बीती 10 मई को कांस्टेबल भेदजीत की हत्या में वांछित चल रहे थे। इन अपराधियों का सफाया होना भयमुक्त समाज का निर्माण करने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए योगी राज की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

क्योंकि इन जिंदा व मुर्दा लोगों में से बहुत सारे ऐसे चहरे हैं जिनकी दहशत के मारे कभी आम आदमी पुलिस प्रशासन व न्यायालय के सामने भी कुछ बोल तक नहीं पाता था और यह लोग यूपी के पुलिस-प्रशासन को अपनी जेबों में रखकर बेखौफ होकर घूमते थे। आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी छवि ऐसी बना ली है कि उनको देश व दुनिया में अपराधियों से बेहद सख्ती से निपटने वाले एक सख्त व्यक्ति बताया जाने लगा, अब तो स्थिति यह हो गयी है कि अन्य राज्यों के लोग भी योगी राज का उदाहरण देते हुए उत्तर प्रदेश को देश में कानून-व्यवस्था के मामले में सबसे अच्छा राज्य बताते हुए, गुंडे माफियाओं व बाहुबलियों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली में निपटने की कहने लगे हैं, जो कि योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता व छवि के लिए एक सकारात्मक संदेश है।



एक टिप्पणी भेजें

Whatsapp Button works on Mobile Device only

Start typing and press Enter to search

Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...