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रविवार, 24 मार्च 2024

क्या है पायलटों के लिए नया रेस्ट रूल, जिसे लागू कराने पर अड़ा DGCA



What is the new rest rule for pilots: सिविल एविएशन मिनिस्ट्री (Civil Aviation Ministry) की तरफ से पायलटों (Pilots) के काम करने के घंटों में बदलाव किया गया है. इसके बाद पायलटों के आराम करने के घंटे बढ़ गए.

पायलटों की थकान की समस्या को देखते हुए इन नए नियमों पर विचार किया गया था, जिससे पायलटों की फ्लाइट ड्यूटी की अवधि कम कर दी गई. ये नियम नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने 8 जनवरी को पेश कर दिए थे. जिसके तहत पायलटों के लिए साप्ताहिक आराम के घंटे 36 घंटे प्रति सप्ताह से बढ़ाकर 48 घंटे कर दिए गए हैं. लेकिन ये नियम एक जून से लागू होना है.

लेकिन एयरलाइंस को यह नियम रास नहीं आए. उसने डीजीसीए से नए पायलट ड्यूटी मानदंडों को स्थगित करने का अनुरोध किया. लेकिन डीजीसीए ने एयरलाइंस का अनुरोध ठुकरा दिया और यह दोहराया है कि संशोधित कार्यक्रम एक जून से ही लागू करना होगा. डीजीसीए ने ड्यूटी को नियंत्रित करने वाले संशोधित नियमों को जनवरी में अधिसूचित किया था.

क्या हैं नये नियम?
नए नियमों के तहत पायलटों को साप्ताहिक आराम की अवधि 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे कर दी गई है. नियमों ने रात के समय की उड़ान को भी कम कर दिया है, जो थकान में योगदान करने और सतर्कता के स्तर को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है. पहले, एक पायलट रात के समय उड़ान के दौरान छह लैंडिंग कर सकता था, जिसे अब घटाकर दो कर दिया गया है. रात की शिफ्ट को पहले आधी रात से सुबह 5 बजे तक एक घंटे बढ़ाकर सुबह 6 बजे तक कर दिया गया है. अधिकतम उड़ान ड्यूटी अवधि को भी 10 घंटे से घटाकर आठ घंटे कर दिया गया है.

द हिंदू के अनुसार हालांकि पायलटों ने मोटे तौर पर बदलावों का स्वागत किया है, लेकिन लगातार दो नाइट ड्यूटी पर प्रतिबंध लगाने की उनकी मांग अनसुनी कर दी गई. पायलटों का कहना है कि आराम किए बिना दूसरी रात उड़ान भरना बेहद तनावपूर्ण है. लगातार रात की ड्यूटी के परिणामस्वरूप नींद पूरी नहीं हो पाती है और थकान संबंधी दिक्कत बढ़ जाती है. पायलटों ने यह भी बताया कि एयरलाइंस को केवल क्रू रोस्टर को "पर्याप्त रूप से पहले" पब्लिश करने की आवश्यकता है और समय सीमा को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है. हितधारकों की टिप्पणियों के लिए रखे गए मसौदा नियमों में प्रस्तावित किया गया था कि रोस्टर को सात दिन पहले अंतिम रूप दिया जाएगा.

डीजीसीए यह भी चाहता है कि एयरलाइंस तिमाही आधार पर पायलटों द्वारा सौंपी गई थकान रिपोर्ट का विश्लेषण कार्रवाई रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत करें. इसने यह भी कहा है कि यह थकान प्रबंधन की एक नई व्यवस्था अपनाने की योजना बना रहा है, जिसे थकान जोखिम प्रबंधन प्रणाली के रूप में जाना जाता है, जो उड़ान चालक दल की थकान की निगरानी और रिपोर्टिंग को बढ़ाने के लिए एक डेटा-संचालित दृष्टिकोण है. हालांकि पायलट आशंकित हैं कि इससे मौजूदा आराम में कमी आ सकती है.


एयर इंडिया सहित कुछ एयरलाइंस डीजीसीए का कर रही विरोध.

एयरलाइंस कर रही हैं विरोध
फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस, एफआईए, जिसमें एयर इंडिया, इंडिगो और स्पाइसजेट शामिल हैं, ने फरवरी में डीजीसीए को पत्र लिखकर एक जून से इसे लागू करने समय सीमा को स्थगित करने की मांग की थी, क्योंकि इससे व्यवसाय और ग्राहकों पर तत्काल और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है. क्योंकि एयरलाइंस को 15% से 25% अधिक पायलटों को नियुक्त करने की आवश्यकता होगी. एक नए शामिल पायलट को उड़ान भरने में लगभग 8-10 महीने लगते हैं. एफआईए ने चेतावनी दी कि एक जून की समय सीमा के परिणामस्वरूप अधिकांश एयरलाइनों द्वारा 15% -20% उड़ानें रद्द की जा सकती हैं और साथ ही कुछ लंबी दूरी की अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी रद्द की जा सकती हैं. जवाब में, डीजीसीए ने दोहराया कि वह 1 जून की समय सीमा पर कायम रहेगा.

डीजीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गर्मियों के चरम यात्रा सीजन के दौरान उड़ान रद्द होने की बात कहकर एयरलाइंस 'डराने' में लगी हुई थीं. उन्होंने कहा कि नियम लागू करने के लिए छह महीने की समय सीमा इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रदान की गई थी कि एक कर्मिशियल पायलट लाइसेंस धारक, जिसने एक विशिष्ट प्रकार के विमान जैसे कि ए 320 या बोइंग 737 मैक्स पर अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, को उड़ान के लिए मंजूरी मिलने के लिए चार महीने से अधिक की आवश्यकता नहीं है.

बढ़ रही है पायलटों की थकान?
सबसे पहले, डीजीसीए ने स्वीकार किया है कि हाल के दिनों में पायलटों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं. ये घटनाएं पायलटों के खराब स्वास्थ्य की वजह से हुईं. ड्यूटी के दौरान तीन मौतें हुईं. इसमें इंडिगो के पायलट मनोज बालासुब्रमणि की मौत भी शामिल है, जो 17 अगस्त, 2023 को नागपुर से पुणे की उड़ान संचालित करने के लिए ड्यूटी पर रिपोर्ट करने के बाद बोर्डिंग गेट पर बेहोश हो गए थे. उनको अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया.

पायलटों का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में न केवल उनके लिए उड़ानों में वृद्धि हुई है, बल्कि महानगरों से परे बढ़ते रूट नेटवर्क के परिणामस्वरूप उड़ानों का संयोजन कठिन हो गया है, जिसमें अधिक कठिन लैंडिंग शामिल है. उदाहरण के लिए, अंतरराष्ट्रीय उड़ान के वापसी चरण को अक्सर अतिरिक्त घरेलू उड़ान के साथ जोड़ दिया जाता है. खाड़ी देशों और सिंगापुर जैसे छोटी दूरी के गंतव्यों के लिए अधिक रेड आई उड़ानें भी हैं. इसमें रोस्टर की अनिश्चितता भी शामिल है, जहां एक पायलट को केवल 12 घंटे के नोटिस पर सुबह 4 बजे की उड़ान के लिए बुलाया जा सकता है. एक वरिष्ठ पायलट ने कहा, "ऐसी परिस्थितियों में ड्यूटी से इनकार करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है."

DGCA से जुड़े हैं कितने पायलट?
एयर इंडिया और विस्तारा जैसी कई एयरलाइंस पहले से ही पायलटों की कमी से जूझ रही हैं. दिसंबर 2023 तक, विभिन्न भारतीय एयरलाइनों के पास कुल 771 विमान थे और 9,52 4 कर्मिशियल पायलट डीजीसीए के साथ पंजीकृत थे. इसके अतिरिक्त, बोइंग 777 जैसे कुछ विमान पर कमांडरों की कमी के कारण 67 विदेशी पायलट भी थे. सीएपीए डेटा से पता चलता है कि भारत की कर्मिशियल एयरलाइनों के बेड़े का आकार वित्तीय वर्ष 2029-30 तक लगभग दोगुना होकर 1,400 होने की संभावना है. इसका मतलब यह होगा कि एयरलाइंस को 2030 तक 10,900 अतिरिक्त पायलट जोड़ने होंगे. यानी प्रति वर्ष लगभग 1,600 नए पायलट. पिछले साल, नियामक ने 1,272 कर्मिशियल पायलट लाइसेंस जारी किए.

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