- रामनवमी के मौके पर सूर्यवंशी रामलला का होगा सूर्य तिलक, जानिए इन मंदिरों के चमत्कारी सूर्य तिलक से जुड़ी कहानी | सच्चाईयाँ न्यूज़

मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

रामनवमी के मौके पर सूर्यवंशी रामलला का होगा सूर्य तिलक, जानिए इन मंदिरों के चमत्कारी सूर्य तिलक से जुड़ी कहानी

 


Ramlalla surya tilak on ramnavmi: अयोध्या में रामलला के मंदिर में जन्मोत्सव के खास मौके पर भगवान के मस्तक पर सूर्य तिलक किया जाएगा। बता दें कि सूर्यवंशी भगवान का ये तिलक दर्पण के माध्यम से होगा।

17 अप्रैल यानी रामनवमी के शुभ अवसर पर भक्तजन भगवान के दर्शन के साथ-साथ सूर्य तिलक के भी साक्षी बनेंगे। इसका 100 एलईडी स्क्रीन के माध्यम से सीधा प्रसारण भी किया जाएगा। मगर, क्या आप जानते हैं कि ये पहली बार नहीं जब भगवान के ललाट पर सूर्य की किरणों से तिलक किया जा रहा है, देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां ये रीत निभाई जाती है। कुछ मंदिरों में तो खुद भगवान सूर्य चमत्कारी तरीके से भगवान के ललाट पर किरणों से तिलक करते हैं, जानिए इसके पीछे का कहानी।

जैन धर्म के कोबा मंदिर में महावीर स्वामी का होता है सूर्य तिलक

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में स्थित कोबा जैन मंदिर जैन धर्म के विशाल संग्रह रखने के लिए जाना जाता है। यहां हर वर्ष 22 मई को लाखों जैनियों की उपस्थिति में श्री महावीर स्वामी भगवान का सूर्य तिलक किया जाता है। ये प्रक्रिया पूरे तीन मिनट तक चलती है, जिसकी शुरुआता हर 22 मई की दोपहर को 2 बजकर 7 मिनट पर की जाती है।

महालक्ष्मी मंदिर में मनाया जाता है किरणोत्सव

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर किरणोत्सव के लिए प्रसिद्ध है। यहां खुद सूर्यदेव माता का तिलक करते हैं। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इसका निर्माण सातवीं सदी में खुद कर्ण देव ने करवाया था। सालमें नवंबर से लेकर फरवरी तक सूर्य की किरणें माता की मूर्ति के अलग-अलग भाग पर पड़ती है।

31 जनवरी और 9 नवंबर किरणें माता के चरणों पर पड़ती हैं, 10 नवंबर से 1 फरवरी तक सूर्य की किरणें माता की मूर्ति के मध्य भाग पर पड़ती है। वही 2 फरवरी और 11 नवंबर तक सूर्य की किरणें सीधे माता के ललाट पर पड़ती है। इस अद्भुत उत्सव को एलईडी स्क्रीन के जरिए लाइव भी किया जाता है।

कोणार्क मंदिर के गर्भगृह में पड़ती है सूर्य की पहली किरण

ओडिशा में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर अपने वास्तुकला के लिए जान जाता है। इस मंदिर का निर्माण 13 शतावदी में राजा नरसिम्हदेव प्रथम ने करावाया था। इसके मंदिर के लिए कहा जाता है कि सूर्य की पहली किरण सीधे मंदिर के प्रवेशद्वार से होते हुए गर्भगृह में विराजमान मूर्ति पर पड़ती है।

गंगाधरेश्वर मंदिर में चमत्कारी तरीके से शिवलिंग पर पड़ती है सूर्य की किरण

बंगलूरू में स्थित गंगाधरेश्वर मंदिर में चमत्कारी तरीके से सूर्य की किरणें मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर पड़ती है। हालांकि, ये चमत्कार साल में एक बार केवल मकर संक्राति के खास मौके पर ही होता है। ये मंदिर एक गुफा में स्थित है, लेकिन इसके गर्भगृह को विशेष चट्टान में उकेरा गया है। इसक वजह से मंदिर में मकर संक्रांति के दिन गर्भगृह में सीधी धूप पहुंचती है और शिवलिंग को प्रकाशित कर देती। इस दौरान वहां के पजारी श्लोकों का उच्चारण करते हुए दूध से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।

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