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गुरुवार, 2 मई 2024

दिल्ली में LG का बड़ा एक्शन, महिला आयोग के 223 कर्मचारियों को हटाया, AAP सांसद ने कहा- ऐसे तो ताला लग जाएगा

 


दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई की है. दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) से 223 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दे दिया गया है क्योंकि उनकी नियुक्ति बिना पूर्व मंजूरी के की गई थी.

आरोप है कि दिल्ली महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने नियमों के खिलाफ जाकर बिना अनुमति के इन सभी सविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की थी. महिला एवं बाल विकास विभाग ने डीसीडब्ल्यू से इन्हें हटाए के निर्देश दिए हैं.


कर्मचारियों को हटाने को लेकर आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने LG पर हमला बोला है. उन्होंने कहा, ‘LG साहब ने DCW के सारे कॉन्ट्रेक्ट स्टाफ को हटाने का एक तुगलकी फरमान जारी किया है. आज महिला आयोग में कुल 90 स्टाफ है, जिसमें सिर्फ 8 लोग सरकार द्वारा दिए गए हैं. बाकी सब 3-3 महीने के कॉन्ट्रेक्ट पर हैं. अगर सब कॉन्ट्रेक्ट स्टाफ हटा दिया जाएगा, तो महिला आयोग पर ताला लग जाएगा. ऐसा क्यों कर रहे हैं ये लोग? खून पसीने से बनी है ये संस्था. उसको स्टाफ और सरंक्षण देने की जगह आप जड़ से खत्म कर रहे हो? मेरे जीते जी मैं महिला आयोग बंद नहीं होने दूंगी. मुझे जेल में डाल दो, महिलाओं पर मत जुल्म करो.’


इससे पहले कर्मचारियों को हटाने के लिए जारी किए गए पत्र में कहा गया, ‘डीडब्ल्यूसीडी ने डीसीडब्ल्यू को सूचित किया था कि अनुदान प्राप्त संस्थान प्रशासनिक विभाग और वित्त विभाग की पूर्व मंजूरी के बिना ऐसी कोई भी गतिविधि नहीं करेंगे या जिसमें सरकार के लिए अतिरिक्त वित्तीय दायित्व शामिल हो, जैसे पदों का सृजन, अधिक वेतनमान देना. इसके अलावा, पत्र में दावा किया गया है कि 223 संविदा पद “अनियमित” थे क्योंकि उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था और एलजी की मंजूरी नहीं ली गई थी.


कर्मचारियों के बेहिसाब बढ़ाए गए भत्ते


इन कथित अनियमितताओं में अनियमित नियुक्तियां, जनशक्ति की अनधिकृत नियुक्ति, सलाहकार सह सलाहकार सह सदस्य सचिव की नियुक्तियों में अनियमितताएं, एलजी द्वारा नियुक्त सदस्य सचिव की अस्वीकृति और दिल्ली महिला आयोग के एक्ट 2013 के प्रावधानों के खिलाफ महिला आयोग द्वारा सदस्य सचिव की अवैध नियुक्ति शामिल है.


पत्र में आगे कहा गया है कि समिति ने संविदा कर्मचारियों से सृजित और भरे गए 223 नौकरी पदों को “अनियमित” पाया क्योंकि उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था और एलजी की मंजूरी नहीं ली गई थी. पत्र में कहा गया है, “इसके अलावा डीसीडब्ल्यू के कर्मचारियों के पारिश्रमिक और भत्तों में वृद्धि पर्याप्त औचित्य के बिना और निर्धारित प्रक्रियाओं व दिशानिर्देशों का उल्लंघन है.”

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