शुक्रवार, 25 नवंबर 2022


मेरठ:अहिल्या में जाट महाराजा सूरजमल को विलेन दिखाने पर जाटों में नाराजगी,जाट नेताओं बोले:वर्तमान सरकार जानबूझकर जाट राजाओं की छवि खराब करने पर तुली
सोनी टीवी पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक अहिल्या में जाट महाराजा सूरजमल को विलेन दिखाने पर जाटों में नाराजगी है। जाट नेताओं का कहना है कि वर्तमान सरकार जानबूझकर जाट राजाओं की छवि खराब करने पर तुली है। इतिहास के तथ्यों से छेड़खानी कर गलत प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है। जाट महापुरुषों की छवि धूमिल की जा रही है। बृहस्पतिवार को इसी संबंध में राष्ट्रीय जाट महासंघ से जुड़े रोहित जाखड़ व सदस्यों ने IG प्रवीण कुमार से मिलकर ज्ञापन दिया। जिसमें सीरियल अहिल्या का प्रसारण रोकने की मांग की है।
SONY TV पर प्रसारित सीरियल अहिल्या में इन दिनों मराठाओं और सूरजमल के बीच तकरार का एपिसोड दिखाया जा रहा है। इसमें दिखाया गया कि किस प्रकार महाराजा सूरजमल युद्ध में छल का प्रयोग करते हैं। गलत तरीके से मराठाओं से युद्ध करके फतह करना चाहते हैं। महाराजा सूरजमल को सीरियल में बेहद निगेटिव छवि में दिखाया है। जाट नेताओं ने सीरियल की इस कहानी को मनगढ़ंत बताते हुए इसे इतिहास के साथ छेड़छाड़ और महाराजा सूरजमल की छवि खराब करने का षड़यंत्र बताया है।राष्ट्रीय जाट महासंघ के यूपी अध्यक्ष रोहित जाखड़ सहित टीम ने आईजी को ज्ञापन देकर मांग की है कि सीरियल का प्रसारण रुके। साथ ही शो के निर्देशक निदा एनवी जैक्सन सेठी ने कुंठित मानसिकता का परिचय देते हुए अजय योद्धा महाराजा सूरजमल के चित्रण को खलनायक दिखाया है। सूचना प्रसारण मंत्रालय को भी पत्र भेजकर शो बंद कराने की मांग की है। कहा है अगर शो का प्रसारण नहीं रुका तो जाट समाज आंदोलन करेगा।
कहा कि महाराजा सूरजमल अजेय थे उन्हें कभी युद्ध में हार नहीं मिली, शो में उनको मराठों से पराजित दिखाया है। पानीपत के युद्ध में जब मराठा पराजित होकर जा रहे थे तब महाराजा सूरजमल ने उनके परिवारों की सुरक्षा कर उनका ख्याल रखा। लेकिन डायरेक्टर ने शो में मराठा और सूरजमल के बीच भारी मतभेद दिखाकर उन्हें शत्रु रूप में दिखाया है। मनगढ़ंत तरीके से इतिहास को तोड़ मरोढ़कर पेश किया है
जाट समाज के लोगों का कहना है कि सरकार कुंठित मानसिकता के तहत ये कृत्य करा रही है। कभी फिल्मो ंमें हमारे महापुरुषों को विलेन बनाकर दिखाया जाता है। कभी शो में ऐसा होता है। पानीपत फिल्म में भी इसी तरह जाटों की छवि खराब करने का प्रयास किया गया था। वोट पाने के लिए वर्तमान सरकार चुनाव से पहले अलीगढ़ कॉलेज का नाम जाट महाराजा के नाम पर रखती है। बाद में उन्हीं की छवि को इस तरह धूमिल किया जाता है।
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