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सोमवार, 16 जनवरी 2023

पश्चिमी देशों की नाइंसाफी! भारत से व्यापार चाहिए लेकिन वीजा-फ्री संबंधों में है दिक्कत, आखिर भारत का पासपोर्ट जापान से कमजोर क्यों?

11 जनवरी को दुनिया भर के देशों के पासपोर्ट्स की मजबूती को आंकने वाला हेनले पासपोर्ट इंडेक्स जारी हुआ है. इस इंडेक्स में मजबूती का पैमाना ये होता है कि किसी पासपोर्ट के जरिये कितने देशों या डेस्टिनेशन्स में वीजा-फ्री एंट्री मिल सकती है. इस इंडेक्स में सबसे टॉप पर जापान है. जापानी पासपोर्ट से 193 देशों में वीजा-फ्री एंट्री मिल सकती है. भारत की रैंक 85 है. भारतीय पासपोर्ट से 59 देशों में वीजा-फ्री एंट्री मिल सकती है. यूं तो यह इंडेक्स सीधे तौर पर किसी भी देश के अंतरराष्ट्रीय संबंधों का पैमाना सा दिखता है…लेकिन थोड़ी गहरी पड़ताल बताती है कि कैसे आज भी पश्चिमी देश भारत के साथ नाइंसाफी करते हैं. दरअसल, इस ग्लोबल पासपोर्ट इंडेक्स के साथ ही हेनले ने एक ग्लोबल मोबिलिटी रिपोर्ट भी जारी की है. इस रिपोर्ट में पासपोर्ट इंडेक्स के सभी देशों के ग्लोबल जीडीपी योगदान को उनके पासपोर्ट की मजबूती से जोड़ा गया है. ये आकलन बताता है कि ग्लोबल GDP में बड़ा शेयर किसी भी देश को वर्ल्ड इकोनॉमी का ज्यादा एक्सेस दिलाता है. जापान का ग्लोबल GDP योगदान 5% से ज्यादा है, इसीलिए उसे वर्ल्ड इकोनॉमी में 98% से ज्यादा आउटपुट देने वाले देशों में एक्सेस है जबकि अफगानिस्तान का ग्लोबल GDP में योगदान 0.1% के आसपास है. इसी वजह से उसे जिन देशों का एक्सेस हासिल है उनका आउटपुट वर्ल्ड इकोनॉमी में 1% से भी कम है. मगर इसे पैमाना माना जाए तो भारत के साथ नाइंसाफी साफ समझ में आती है. ग्लोबल GDP में भारत का योगदान करीब 3.5% है. मगर उसे जितने देशों का वीजा-फ्री एक्सेस भारत को हासिल है वह वर्ल्ड इकोनॉमी का सिर्फ 6.74% हिस्सा है. किसी भी देश में एंट्री के लिए उस देश का वीजा लेना जरूरी होता है. नियमत: यह वीजा एंट्री से पहले लेना जरूरी होता है. इसके लिए उस देश के वीजा आउटपोस्ट पर जाकर फॉर्म भरना होता है. लंबी प्रक्रिया और पड़ताल के बाद वीजा जारी होता है. मगर कोई देश चाहे तो वह किसी दूसरे देश के नागरिकों को इसमें छूट दे सकता है. यह छूट भी तीन तरह से दी जा सकती है. पहला तरीका है- पूरी तरह से वीजा फ्री एंट्री यानी बिना वीजा के आना-जाना आराम से हो सके. उदाहरण के लिए- नेपाल, भूटान और भारत के नागरिक एक-दूसरे के देश में बिना वीजा के आवागमन कर सकते हैं जबकि मालदीव्स के नागरिकों को भारत में बिना वीजा के एंट्री है, मगर बिना वीजा के वह 90 दिनों तक देश में रह सकते हैं. दूसरा तरीका है- वीजा ऑन अराइवल. यानी उस देश के नागरिक को पहले से वीजा लेने की जरूरत नहीं है. डेस्टिनेशन कंट्री में आने के बाद उसे तुरंत वीजा मिल जाएगा. उदाहरण के लिए जापान, साउथ कोरिया और यूएई के नागरिकों को भारत के 6 एयरपोर्ट्स पर वीजा ऑन अराइवल की सुविधा मिली हुई है यह वीजा 60 दिनों तक के लिए मिलता है. तीसरा तरीका है- ई वीजा यानी किसी वीजा आउटपोस्ट पर जाकर लंबी प्रक्रिया से गुजरने के बजाय ऑनलाइन अप्लाई कर तुरंत वीजा हासिल कर लिया जाए. भारत ने पूरे यूरोप और दुनिया के करीब 140 देशों के लिए ई-वीजा की सुविधा दे रखी है. ये वीजा 30 दिन से 180 दिन तक के लिए जारी होता है. हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में वीजा-फ्री एंट्री और वीजा औन अराइवल को गिना जाता है. हेनले एंड पार्टनर्स ने 2006 से हेनले पासपोर्ट इंडेक्स जारी करना शुरू किया था. 2006 में इस इंडेक्स में 187 देश शामिल थे. तब भारत की रैंकिंग 71 थी, लेकिन वीजा-फ्री एक्सेस सिर्फ 25 देशों का था. उस समय जापान की रैंकिंग 3 थी और उसे 128 देशों का वीजा-फ्री एक्सेस हासिल था. पहले स्थान पर डेनमार्क, फिनलैंड और अमेरिका थे. तीनों को 130 देशों का वीजा-फ्री एक्सेस हासिल था. 2023 में 199 देशों के पासपोर्ट्स का आकलन कुल 227 डेस्टिनेशन्स के एक्सेस के आधार पर किया गया है. जापान अकेला नंबर-1 पर है जिसे 193 देशों का वीजा फ्री एक्सेस हासिल है. भारत की रैंक 85 है और उसे 59 देशों का वीजा-फ्री एक्सेस हासिल है. 2022 में 60 देशों का वीजा-फ्री एक्सेस भारतीय पासपोर्ट पर उपलब्ध था, लेकिन रैंक 87 थी. हेनले की ग्लोबल मोबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल GDP में हिस्सेदारी के हिसाब से उसके अन्य देशों से वीजा संबंध भी तय होते हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक जापान का ग्लोबल GDP में शेयर 5.27% है. इसीलिए उसे 193 देशों में वीजा-फ्री एक्सेस मिला हुआ है जो वैश्विक भू-भाग का करीब 85% है. यही नहीं, यही 193 देश हैं जो ग्लोबल इकोनॉमिक आउटपुट का 98% से ज्यादा हिस्सा देते हैं. दुनिया के करीब 220 देशों से जापान के व्यापारिक संबंध हैं. हेनले पासपोर्ट इंडेक्स के टॉप-10 में जापान समेत 30 देश शामिल हैं. टॉप-10 में शामिल देशों से जापान का व्यापार भी अच्छा खासा है. उसके आयात का 38.09% और निर्यात का 43.22% इन्हीं देशों के साथ रहा है. इस लिहाज से उसके पासपोर्ट पर 193 देशों का वीजा-फ्री एक्सेस बिल्कुल तर्कसंगत दिखता है. वैश्विक जीडीपी में भारत का योगदान 3.39% का है. इकोनॉमी के आकार के मामले में भी जापान तीसरे तो भारत पांचवें स्थान पर है. इसके बावजूद वीजा-फ्री एक्सेस की बात करें तो भारत जापान से बहुत पीछे है. भारत के पासपोर्ट पर सिर्फ 59 देशों का ही वीजा-फ्री एक्सेस है. जिन देशों में भारत को वीजा-फ्री एक्सेस है वह मिलकर वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटपुट का महज 6.74% हिस्सा ही बनाते हैं. इस लिहाज से चीन की स्थिति भी खराब है. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी की ग्लोबल जीडीपी में हिस्सेदारी 18.93% है जबकि उसे वीजा-फ्री एक्सेस सिर्फ 80 देशों में है जो ग्लोबल इकोनॉमिक आउटपुट का 25.75% हिस्सा बनाते हैं. भारत के दुनिया के 223 देशों से व्यापारिक संबंध हैं. हेनले पासपोर्ट इंडेक्स के टॉप-10 में शामिल 30 देशों से भारत के व्यापारिक संबंध भी अच्छे हैं. भारत के आयात में इन देशों की हिस्सेदारी 32.8% और निर्यात में हिस्सेदारी 43.35% है. हेनले के मुताबिक एक मजबूत पासपोर्ट यानी ज्यादा वीजा-फ्री एक्सेस किसी भी देश की ग्लोबल छवि और उसकी स्वीकार्यता पर ज्यादा निर्भर करती है. वीजा-फ्री एक्सेस का सीधा फायदा आर्थिक तरक्की में तेजी में मिलता है. दुनिया भर में जारी होने वाले वीजा में सबसे ज्यादा प्रतिशत बिजनेस वीजा का होता है यानी लोग सबसे ज्यादा ट्रैवल बिजनेस के सिलसिले में करते हैं. ऐसे में अगर एक व्यापारी के लिए इस ट्रैवल में वीजा की प्रक्रिया ही खत्म हो जाए तो उसके लिए व्यापार ज्यादा आसान हो जाएगा. व्यापार के मामले में भारत और जापान पर दुनिया का भरोसा लगभग एक जैसा है. दुनिया के सबसे मजबूत पासपोर्ट वाले देश भी भारत और जापान पर व्यापार के लिए एक समान भरोसा करते हैं. मगर वीजा की शर्तों में छूट की बात आते ही यह भरोसा कम हो जाता है. द्वितीय विश्व युद्ध के समय दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य ताकतों में से एक माने जाने वाले जापान को आज पूरी दुनिया में शांतिप्रिय माना जाता है. जापानी नागरिकों की छवि भी शांत लोगों की है जो ट्रैवल करना पसंद करते हैं और खर्च भी खूब करते हैं. 2012-13 में भारत को दुनिया की सबसे तेज बढ़ती इकोनॉमी माना जाता था. 2013 के हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भारत 74वीं रैंक पर था और उसे 52 देशों का वीजा-फ्री एक्सेस था. 2014 के हेनले इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 82 हो गई, लेकिन वीजा-फ्री एक्सेस बढ़कर 59 देशों का हो गया. तब से लगातार भारत के वैश्विक व्यापारिक संबंधों में सुधार आया है. आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन गया है लेकिन इसके बावजूद वीजा-फ्री एक्सेस का दायरा नहीं बढ़ पाया है.

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