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मंगलवार, 2 मई 2023

Delhi Liquor Policy Case : ' दिल्ली शराब घोटाले को कवर करने के लिए सिसोदिया ने प्लांट किए झूठे ई - मेल ' , ED का दावा

दिल्ली में सियासी दलों के बीच शराब घोटाले (Delhi Liquor Scam) सहित कई मसलों पर सत्ताधारी पार्टी और मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी सहित अन्य दलों के बीच सियासी घमासान चरम पर है.इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ED Supplementary Chargesheet) ने अपनी तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में दावा किया है कि दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish sisodia) ने शराब घोटाले को दबाने के लिए साजिश के तहत कथित तौर पर ई-मेल प्लांट किए थे. न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि ऐसा मनीष सिसोदिया ने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के मकसद से किया था. पूर्व डिप्टी सीएम सिसोदिया दिल्ली आबकारी नीति में अपने हिसाब से बदलाव करना चाहते थे, जो उनके गलत इरादे को साबित करने के लिए काफी है.

केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में दावा किया है कि अब तक की पीएमएलए जांच से पता चला है कि दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व खासकर मनीष सिसोदिया द्वारा गैर कानूनी तरीके से अवैध धन हासिल करने के मकसद से लाया गया था. ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि अवैध और आपराधिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए आबकारी नीति को जान बूझकर कमियों के साथ तैयार किया गया.

आबकारी नीति में बदलाव बड़ी साजिश

दिल्ली आबकारी नीति के तहत परदे के पीछे से कार्टेल संरचनाओं को बढ़ावा दिया गया. इतना ही नहीं, शराब कारोबारियों को थोक में 12 फीसदी और 185 फीसदी का बड़ा खुदरा लाभ मार्जिन प्रदान किया गया. मनीष सिसोदिया और आप के अन्य नेताओं द्वारा शराब के कारोबार से रिश्वत लेने के लिए आपराधिक साजिश के तहत इस कारोबार में गैर कानूनी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया गया.

जनता से सुझाव लेना सिर्फ बहाना

ईडी ने चार्जशीट में ये भी बताया है कि आबकारी नीति 2021-22 को गोपनीयता और प्रमुख लाभार्थियों की मिलीभगत से तैयार किया गया था. नीति के मूल प्रावधान बिना किसी विचार-विमर्श या तो जीओएम या आबकारी विभाग के साथ किए गए थे. इस मामले में जनता से सुझाव लेना केवल एक बहाना था. ईडी ने आरोपपत्र में इस बात का भी दावा किया है कि थोक व्यापारी या निजी संस्थाओं 12 फीसदी मार्जिन मनी देने के उसमें से 6 फीसदी रिश्वत हासिल करने के लिए ऐसा किया गया था. ईडी का ये भी दावा है कि सी अरविंद के बयान से साफ है कि जीओएम की बैठकों में निजी कारोबारियों को मार्जिन मनी देने के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई थी.


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