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गुरुवार, 6 जुलाई 2023

ऑनलाइन प्यार: कितना सही-कितना गलत

 देश में डेटिंग एप्स के जरिए शादीशुदा लोगों में ऑनलाइन प्यार का खुमार बढ़ता जा रहा है। मर्यादा तोडऩे की ललक, नई-नई जिज्ञासाओं, दबी इच्छाओं और कथित कुंठाओं की पूर्ति का सहज साधन उपलब्ध कराने के वायदे के साथ डेटिंग एप्स का बाजार अब देश के कस्बों और दूर-दराज के इलाकों तक फैल चुका है। ये एप्स बाजार बनाने की तमाम मार्केटिंग रणनीतियां अपना रहे हैं और दबी-छुपी लालसाओं, वासनाओं के लिए मौका मुहैया करा रहे हैं, विवाहितों के लिए भी नए दरवाजे खोल रहे हैं, जिन्हें अब तक शादी केवल ‘निभाने’ की बात लगा करती थी। यह पेशकश भी है कि बिना मिले सिर्फ बात या चैट करके (सैक्सटिंग या फिर सैक्स चैट) भी संतुष्टि पा सकते हैं। .

कुछेक दावों की मानें तो दूसरे-तीसरे दर्जे के शहरों में विवाहेत्तर सैक्स इच्छाओं की पूर्ति का आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है।

विवाहित लोगों के लिए बनाए गए एक डेटिंग एप का तो दावा है कि फिलहाल 20 लाख लोग उसके एक्टिव यूजर हैं। हाल में एक सर्वेक्षण के जरिए एक एप द्वारा दावा किया गया है कि महानगरों (टीयर-1) में 58 फीसदी लोगों ने विवाहेत्तर संबंधों की बात कबूली, जबकि टीयर-2, 3 शहरों में 56 फीसदी लोग इसके हक में हैं। डेटिंग व्यवहार पर किए गए एक अन्य सर्वे से सामने आया है कि विवाहेत्तर या एकाधिक संबंधों के आकर्षण के मामले में महिलाएं पुरुषों के लगभग बराबर हैं। 

डेटिंग एप्स की पॉपुलैरिटी में बेवफाई की इंसानी फितरत की महत्वपूर्ण भूमिका है। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बेवफाई अलग रोमांच और दिलचस्पी जगाती है। बॉलीवुड का भी यह पसंदीदा विषय रहा है। इन डेटिंग एप्स पर शादी के बाद किसी भी कारण से साथी से संतुष्ट न होने पर निजता के ख्याल के साथ-साथ, किसी अपने जैसे को खोजा जा सकता है। दरअसल ‘मूव ऑन’ पीढ़ी ने रिश्ते टूटने या जुडऩे के तनाव को एक झटके में दूर फैंक दिया है। देखा जा रहा है कि महिलाओं पर फोकस रखने वाले अनेक डेटिंग एप्स पर न तो मिलने वाली घबराहट होती है, न कोई हदबंदी, न पहली नजर का जुनून, अत: चाहे जितने लोगों से चैट कीजिए और फिर एक दिन बेकाबू धड़कनों के साथ कहीं मिलकर जो चाहे कीजिए। 

पिछले कुछ वर्षों में, खासकर कोविड महामारी के बाद, आश्चर्यजनक रूप से टीयर-2 शहरों में रिश्ते में रहते हुए रिश्ते खोजने वालों की बाढ़ सी आ गई है। एक सर्वे बताता है कि 67 फीसदी लोगों का मानना है कि उन्हें मौका मिले तो वे भी एक बार किसी और के साथ जाना चाहेंगे। जिनके लिए विवाहेत्तर संबंध रखना यहां अब साथी को धोखा देना नहीं रह गया, ऐसे लोगों के लिए डेटिंग एप्स मास्टर चाबी हैं। समाज शास्त्रियों के सामने बड़ा प्रश्न है कि क्या डेटिंग एप्स के जरिए सच्चा प्यार मिल सकता है? अनेक मनोवैज्ञानिक तो इस बात पर सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार ऑनलाइन सच्चा प्रेम एक ‘कल्पना’ है। ऑनलाइन मिलने वाला प्रेम और अच्छी-मीठी बातें, वादे सुरक्षा की ऐसी भावना भर देते हैं, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं होता। इसमें जरा भी ग्लानि नहीं होती क्योंकि शायद ऑनलाइन प्रेम का इजहार एक दिमागी फितूर के सिवा कुछ भी नहीं।

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