- NCP ही नहीं यहां भी बगावत का खतरा, 12 महीने के रिश्ते पर भारी पड़ रहे शिंदे के 6 वफादार | सच्चाईयाँ न्यूज़

गुरुवार, 6 जुलाई 2023

NCP ही नहीं यहां भी बगावत का खतरा, 12 महीने के रिश्ते पर भारी पड़ रहे शिंदे के 6 वफादार

 मुंबई: बुधवार (5 जुलाई) को मुंबई के बांद्रा में स्थित एमईटी सेंटर में दिए गए अपने भाषण में अजित पवार ने एक बात ऐसी कह दी जिसने सीएम एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना कैंप में फिर एक बार खलबली मचा दी.

अजित पवार ने कहा कि वे चार बार राज्य के उप मुख्यमंत्री बने हैं. अब पांचवीं बार फिर उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया है. उन्हें भी अब आगे बढ़ना है. लेकिन गाड़ी यहीं रूक जाती है, आगे जाती ही नहीं है. राज्य की तरक्की के लिए आगे जाना है.

शिंदे गुट को अजित पवार के समर्थकों के हाथ वित्त, राजस्व, पीडब्लूडी जैसे मलाइदार विभाग जाने की चिंता है. चिंता यह भी है कि जो मलाईदार विभाग पहले से ही शिंदे गुट के मंत्रियों के हाथ हैं, वे भी न निकल जाएं. डर अजित पवार के साथ वाले लोगों को तरजीह ज्यादा मिलने और नजरअंदाज किए जाने का भी है. ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने दो दिनों पहले ही यह कहा था कि अजित पवार समेत एनसीपी के 9 मंत्रियों की एंट्री दरअसल एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद के लिए खतरे की घंटी है. यही आशंका कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वाराज चव्हाण ने भी यह कह कर जताई थी कि अजित पवार ने बीजेपी के साथ जरूर सीएम पद को लेकर कोई डील की है, तभी वे सरकार में शामिल हुए हैं. इस परिदृश्य में शिंदे गुट में खलबली मचना स्वाभाविक है.

सवाल सीएम, वित्तमंत्री, पीडब्लूडी जैसे मलाईदार पद का है, एनसीपी नेताओं के मुकाबले कद का है

ऐसे में खतरा यह बढ़ गया है कि शिंदे गुट के अंदर भी कहीं इस बात को लेकर बगावत न हो जाए. दो विचार तो खुलकर सामने आने लगे हैं कि एनसीपी की एंट्री क्यों हुई? इसका पहले से कोई अंदाज क्यों नहीं दिया गया? एकतरफा फैसला कैसे लिया गया? जो अजित पवार और एनसीपी ठाकरे गुट के खिलाफ बगावत की वजह बनी, उनके साथ अब सरकार में रहना है तो शिवसेना में रह कर बगावत ही क्यों की? शिंदे गुट के 6 नेताओं ने अलग-अलग तरह से अजित पवार और उनके मंत्रियों की एंट्री पर अपनी आशंकाएं जताई हैं. इन नेताओं के नाम हैं दीपक केसरकर, शंभूराज देसाई, भरत गोगावले, संजय शिरसाट, सुहास कांदे और प्रहार संगठन के शिंदे समर्थक विधायक बच्चू कडू.शिंदे गुट में लोग असंतुष्ट, बच्चू कडू, दीपक केसरकर और शंभूराज देसाई ने दिए फूट के सबूत

सीएम एकनाथ शिंदे ने अजित पवार की एंट्री को लेकर पहले तो यही बयान दिया कि डबल इंजन की सरकार अब ट्रिपल इंजन की हो गई है. लेकिन उनकी चिंताएं बाद में तब जाहिर हो गईं जब मंगलवार को उनकी अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक हुई. अजित पवार काफी डिमांडिंग दिख रहे हैं. दूसरी तरफ शिंदे गुट की ओर से अजित पवार को वित्त विभाग या पीडब्लूडी विभाग दिए जाने का खुल कर विरोध किया गया है.

‘एनसीपी को साथ लेते वक्त हमें विश्वास में नहीं लिया गया, ज्यादती होगी तो विस्फोट होगा’

प्रहार संगठन के प्रमुख शिंदे सर्मथक विधायक बच्चू कडू ने बुधवार को साफ कहा कि एनसीपी को सरकार में शामिल करते वक्त हमें विश्वास में नहीं लिया गया. अगर इसी तरह से ज्यादती होती रही तो जल्दी ही विस्फोट होगा. शिंदे गुट के प्रवक्ता और स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने भी यूं ही बयान नहीं दे दिया कि उद्धव ठाकरे भी अगर समर्थन देने को आएं तो उनका हम स्वागत करेंगे. न तो उद्धव ठाकरे ने शिंदे सरकार में शामिल होने की इच्छा जताई है, न ही शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर को यह बयान देने की जरूरत थी, लेकिन फिर भी यह बयान उनके असंतोष को ही दर्शाता है. मंत्री शंभूराज देसाई ने भी मंगलवार को कहा कि अगर उद्धव ठाकरे उनसे संपर्क करेंगे तो वे उनका स्वागत करेंगे. उन्हें सकारात्मक जवाब देंगे.

आधी रोटी नहीं, अब मिलेगी चौथाई, बिना जरूरत NCP आई? गोगावले-शिरसाट ने आवाज उठाई

शिंदे गुट के भरत गोगावले ने कहा है कि अब तक बीजेपी के साथ आधी रोटी बांट कर खा रहे थे. अब तिहाई और चौथाई हिस्से की नौबत आ रही है. संजय शिरसाट ने भी मंगलवार को कहा कि जब 172 विधायकों के साथ सदन में बहुमत हासिल था, तब एनसीपी को साथ लेने की जरूरत क्यों पड़ गई? अब शिंदे कैबिनेट में सिर्फ 14 मंत्रियों के लिए जगह बची है. कई लोगों को मंत्री बनने की उम्मीद थी, पर अब अजित पवार की एनसीपी भी हिस्सेदार हो गई. इससे उनकी संभावनाएं कम हो गईं.

जब अजित पवार भी यहीं आने वाले थे तो ठाकरे गुट से हम अलग क्यों हुए?’ कांदे यह बोले

सवाल अस्तित्व बचाने का भी है. प्रहार संगठन के शिंदे समर्थक विधायक बच्चू कडू ने बुधवार को कहा कि अजित पवार और उनके गुट के लोगों के सरकार में शामिल होने से शिंदे गुट के लोग नजरअंदाज किए जाएंगे. अजित पवार के साथ आने वाले नेता छगन भुजबल और अदिति तटकरे जैसे कद्दावर लोग हैं. उनकी आभा के सामने शिंदे गुट के विधायकों को अपने अस्तित्व के मिटने का भी खतरा नजर आ रहा है. सुहास कांदे के सामने छगन भुजबल खड़े होंगे. भरत गोगावले के सामने अदिति तटकरे होंगी. ऐसे में जहां कद्दावर मंत्री होंगे उस क्षेत्र में गार्डियन मिनिस्टर भी उन्हीं को बना दिया जाएगा. उद्धव ठाकरे से अलग होते वक्त शिंदे गुट के विधायकों की शिकायतें भी यही थीं कि अजित पवार मनमानी करते हैं. शिवसेना के विधायकों को फंड देने में दस सवाल करते हैं. जब अजित पवार का सामना करना था तो हम अलग ही क्यों हुए? तब उद्धव ठाकरे सीएम होकर भी लाचार थे, अब एकनाथ शिंदे सीएम होकर भी लाचार हो जाएंगे. शिवसेना विधायक तो मारे जाएंगे.

इसलिए नागपुर से भागे-भागे मुंबई आए सीएम एकनाथ शिंदे

मंगलवार को इन सभी मसलों को लेकर शिंदे गुट की शिवसेना के प्रवक्ता और मंत्री दीपक केसरकर के रामटेक बंगले पर मीटिंग हुई. यह तय हुआ कि एकनाथ शिंदे बुधवार की शाम को कोर कमेटी की मीटिंग करेंगे. यही वजह है कि एकनाथ शिंदे नागपुर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत करने के बाद मंगलवार की ही रात को मुंबई के लिए रवाना हो गए, जबकि उन्हें बुधवार को राष्ट्रपति मुर्मू के साथ गढ़चिरोली के कार्यक्रम में शामिल होना था. इसके बाद बुधवार को सीएम के वर्षा बंगले में शिवसेना के कोर कमेटी की बैठक शुरू हुई. यानी साफ है कि एकनाथ शिंदे की शिवसना में अजित पवार और उनके सहयोगियों के महाराष्ट्र सरकार में एंट्री को लेकर असंतोष और एतराज है. यह एतराज कितना बड़ा रूप लेता है, यह भविष्य की बात है.

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